BEST TIME MANAGEMENT FOR STUDENTS HINDI 2022  || समय प्रबन्धन || 11 Tips in Hindi  

BEST TIME MANAGEMENT FOR STUDENTS HINDI 2022  यह एक निर्विवाद सत्य है कि किसी भी उच्च सफलता में समय प्रबन्धन की अहम् भूमिका होती है। छात्रों के लिए या यह कहें कि उन छात्रों के लिए, जो स्वयं को टॉपर्स में शुमार कराए जाने की दृढ़ इच्छाशक्ति रखते हैं, समय प्रबन्धन निश्चय ही बहुत महत्त्वपूर्ण है।

समय प्रबन्धन का सीधा-सा अर्थ है–उपलब्ध समय का निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति हेतु अधिकतम सम्भव उपयोग किया जाना। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में छात्रों के पास समय की बहुत कमी होती है, छात्रों को विभिन्न विषयों की तैयारी करनी होती है, ट्यूशन या कोचिंग में भी समय देना होता है। जो छात्र स्कूल या कॉलेज की परीक्षा के साथ-साथ यदि किसी प्रतियोगिता परीक्षा;

जैसे-IIT, JEE, MBA, CA, IAS या अन्य किसी परीक्षा में बैठ रहे हैं, तो उनके लिए समय प्रबन्धन की तकनीक की जानकारी रहना अति आवश्यक हो जाता है।

समय प्रबन्धन एक ऐसी आवश्यक कला (Arts) है, जो हर व्यक्ति के जीवन में सन्तुलन बनाए रखने हेतु आवश्यक है। कहते हैं कि जिसने समय की कीमत को पहचान लिया या यह कहें कि जिसने समय की कद्र कर ली, वह जीवन में कभी मात नहीं खा सकता। जीवन में सफलता हेतु समय की कीमत को पहचानने का अर्थ हुआ कि समय का अधिकतम उपयोग, सार्थक कार्यों हेतु किया जाए। समय को व्यर्थ न गवाएँ। एक बार व्यतीत या बीता हुआ समय फिर वापस नहीं आ सकता।

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BEST TIME MANAGEMENT FOR STUDENTS HINDI 2022 समयऔर प्राथमिकताओं केसम्बन्ध को लेकर एक कहानी

अपने समय को कैसे सनियोजित करें” इस विषय पर समय-प्रबन्धन के एक विशेषज्ञ एमबीए के विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। क्लास में बीस-पच्चीस विद्यार्थी थे-कुछ लड़के और कुछ लड़कियाँ। विशेषज्ञ प्रोफेसर चाहता थे कि आज की क्लास को यह सबक इतनी अच्छी तरह से समझाया जाए कि विद्यार्थी उसे जीवन भर न भूलें,

इसलिए उस दिन का प्रशिक्षण उन्होंने एक प्रयोग (Experiment) के प्रदर्शन से प्रारम्भ किया। “आज की पढ़ाई हम एक छोटे-से व्यावहारिक प्रयोग (Practical) के माध्यम से . शुरू करते हैं”-कहते हुए उन्होंने टेबल पर शीशे का जार रख दिया। यह जार खुले और चौड़े मुँह वाला था-कोई चार-पाँच लीटर के साइज का होगा। उसे टेबल पर ऐसे रखा ताकि सब विद्यार्थी उसे अच्छी तरह से देख सकें। फिर उन्होंने एक बैग निकाला, जिसमें पत्थर के कुछ टुकड़े भरे हुए थे। करीब-करीब मुट्ठी भर साईज के होंगे। पत्थर के ये टुकड़े ऐसे थे, जैसे अपने यहाँ मोटी गिट्टी होती है। उन्होंने वे पत्थर के टुकड़े सावधानी के साथ उस जार में भर दिए। जब उसमें और पत्थर नहीं आ.सके, तो उन्होंने क्लास के विद्यार्थियों से प्रश्न किया, “क्या यह जार भर गया?” ‘हाँ’, सबने जोरदार आवाज में उत्तर दिया। “अच्छा। चलो देखते हैं”, कहकर उन्होंने टेबल के नीचे से एक छोटी बाल्टी निकाली, जिसमें बजरी (छोटी गिट्टी) भरी थीं। उन्होंने बजरी उस जार में उड़ेली

और थोड़ा हिलाया। अब उन्होंने जार को बजरी से भर दिया। अब वह थोड़ा मुस्कराए और क्लास से फिर पूछा, “क्या जार भर गया?” इस बार सब विद्यार्थी चुप रहे। वे समझ गए कि इसमें प्रोफेसर की चाल है। एक विद्यार्थी धीरे से बोला, “शायद नहीं।” “बहुत अच्छे।” कहते हुए वे फिर टेबल के नीचे झुके और एक और छोटी-सी बाल्टी निकाली, जिसमें रेत भरी थी। उन्होंने उस जार में रेत भरना शुरू किया। गिट्टी और बजरी (बड़े पत्थर और छोटे पत्थर) के बीच में जो खाली स्थान था,

वह रेत से भर दिया। “क्या यह जार भर गया?” एक बार फिर उन्होंने वही प्रश्न पूछा। ‘नहीं’, पूरी क्लास जोर से चिल्ला पड़ी। अब उनको समझ में आ गया था कि

क्या हो रहा है?

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‘बहुत खूब’, कहकर प्रोफेसर ने पानी का जग उठाया और उस जार को पानी से पूरा भर दिया। “हाँ, तो यह बताओ, इस प्रयोग से हमें क्या शिक्षा मिलती है?” उन्होंने विद्यार्थियों की ओर देखकर प्रश्न किया। एक तेज तर्रार टाइप का लड़का था। उसने बड़ी उत्सुकता से हाथ उठाया और बोला, “चाहे हम कितने भी व्यस्त हों, कोशिश करने से अपनी दिनचर्या में और अधिक काम कर सकते हैं।

” “गलत! बिल्कुल गलत!! भरना ही यदि उद्देश्य होता, तो पूरा जार रेत से ही भरा जा सकता था… या पानी से”, विशेषज्ञ प्रोफेसर ने जोर देते हुए कहा, “नहीं। इस प्रयोग का यह उद्देश्य बिल्कुल नहीं है।” सारी क्लास स्तब्ध रह गई-एकदम चुप्पी छा गई। इसका और क्या प्रयोजन हो सकता है? एक मिनट तकं प्रोफेसर चुप रहे। मुस्कराते हुए बोले-“यह परीक्षण हमें एक बहुत बड़ी सच्चाई सिखाता है कि आप यदि बड़े पत्थर पहले नहीं डालोगे, तो उन्हें कभी भी नहीं डाल पाओगे। रेत तो बाद में भी डाली जा सकती है, लेकिन यदि जार को पहले रेत से भर दिया, तो उसमें बड़े पत्थर नहीं आ सकते।

इसलिए बड़े पत्थर पहले ही डालने होते हैं।” “महत्त्वपूर्ण, उपयोगी एवं आवश्यक काम आपको पहले करने होंगे, वरना आप उन्हें कभी नहीं कर पाओगे। बड़े पत्थर पहले डालने होते हैं-छोटे टुकड़े तो बाद में भी डाले जा सकते हैं। यदि आपने अपना समय अनावश्यक और अनुपयोगी कामों में लगा दिया, तो आप के पास उपयोगी कामों के लिए कोई समय नहीं बच . पाएगा। आपका काम किन्हीं अनावश्यक कामों की दया पर क्यों आश्रित रहे?” हमें बड़े पत्थरों को पहचानना है। बड़े पत्थर हमारी प्राथमिकताएँ हैं। ये प्राथमिकताएँ हमारे लक्ष्य पर निर्भर करती हैं। बिना लक्ष्य के हम अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित नहीं कर सकते, इसलिए बिना लक्ष्य के कोई प्राप्ति नहीं हो सकती। सुनिश्चित श्रम तभी हो सकता है, जब आपका लक्ष्य सुनिश्चित होता है।

आपकी सफलता आपके लक्ष्य के साथ जुड़ी हुई है। जिसका लक्ष्य निश्चित होता है, वही अपनी प्राथमिकताओं को जान सकता है। फिर वह अपने बड़े पत्थर पहले डालता है। जो बड़े पत्थर पहले डालता है, उसके पास समय की कोई कमी नहीं रह जाती। वह समय के उचित नियोजन में सफल रहता है। यह कहानी जीवन में सफलता हेतु संकल्पित विद्यार्थियों के लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह कहानी आपको अपनी प्राथमिकताओं को जानने एवं अपने लक्ष्य के अनुरूप उनको कार्यान्वित करने हेतु प्रेरित करती है। आपकी सफलता के सन्दर्भ में समय के उचित प्रबन्धन हेतु यह एक व्यावहारिक मार्गदर्शिका है।

समय प्रबन्धन कैसे करें?

समय प्रबन्धन के लिए किसी खास तकनीक की आवश्यकता नहीं है। आपको स्वयं के लक्ष्य के अनुसार अपनी प्राथमिकताओं को तय करना है अर्थात् आपको यह देखना होगा कि कौन-सा कृत्य या कार्य आपको लक्ष्य की ओर अग्रसर कर रहा है? आपको स्वयं यह आकलन करना होगा कि आप कहाँ-कहाँ समय व्यर्थ कर रहे हैं?

कौन-सा समय आप अपने लक्ष्य की पूर्ति हेतु सार्थक रूप से उपयोग कर सकते हैं?

प्रभावी समय प्रबन्धन हेतु कुछ बिन्दु नीचे दिए जा रहे हैं। इन पर अमल करने से आप अपने समय का सदुपयोग उचित तरीके से कर पाएँगे, यह हमारा विश्वास है।

 जैसे आप सुबह 7 बजे उठते हैं। 7-9 (2 घण्टे) का समय आप दैनिक आवश्यकताओं से निवृत्त होकर, नाश्ता आदि करने में व्यय करते हैं। फिर 10 बजे स्कूल/कॉलेज/कोचिंग में जाते हैं। वहाँ से 3 बजे वापस आकर खाना खाते हैं एवं एक घण्टे सोते हैं। फिर चाय आदि पीकर 6 बजे टीवी देखने या नेट-सर्किंग या नेट-चैटिंग करने लग जाते हैं या मित्रों के साथ घूमने निकल जाते हैं। घूमकर 8 बजे

आते हैं, फिर पढ़ने बैठते हैं।

एक घण्टे पढ़ते हैं और 9 बजे रात्रि भोजन के बाद, 10 बजे से 11 बजे तक पढ़ते हैं। फिर आप सो जाते हैं। यह एक सामान्य दिनचर्या मानी जा सकती है। आपने देखा स्व-अध्ययन हेतु आप मात्र दो घण्टे ही दे पा रहे हैं। आपको अपनी दिनचर्या को इस प्रकार से सुव्यवस्थित करना चाहिए कि आप अधिकतम समय स्व-अध्ययन हेतु निकाल सकें। यह समय प्रबन्धन का एक भाग है।

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1- महत्त्वपूर्ण एवं कम महत्त्वपूर्ण कार्यों का विभाजन

Division between Important and less inportant

आपको महत्त्वपूर्ण एवं कम महत्त्वपूर्ण कार्यों का विभाजन करना होगा, जो कार्य अधिक महत्त्वपूर्ण हैं, उन्हें पहले करना होगा एवं जो कम महत्त्वपूर्ण हैं, उन्हें बाद में सम्पन्न किया जा सकता है। जैसे—कोचिंग क्लास में दिए गए कार्य को आज ही पूरा करना, क्योंकि यह एक महत्त्वपूर्ण कार्य है, लेकिन किसी मित्र के ई-मेल का जवाब देना उतना महत्त्वपूर्ण नहीं है।

2- कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा का निर्धारण Deadline for completing task

किसी भी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु स्वयं को अनुशासन में रखने की आवश्यकता होती है। स्वयं को, स्वयं की क्षमता को चुनौती देना भी आवश्यक है; जैसे—विद्यार्थी जीवन में यह समय सीमा निर्धारित करना कि सभी विषयों या किसी एक विषय का कोर्स परीक्षा के तीन माह या दो माह पूर्व अवश्य पूर्ण कर लेना है, यह स्वयं की क्षमता को चुनौती देना है।

संकल्प करने से आपके लिए उस संकल्प को पूर्ण करना, एक महत्त्वपूर्ण दायित्व हो जाता है। इस तरह कार्य पूर्ण करने की समय-सीमा तय करना भी समय प्रबन्धन का ही एक अंग है। आप भी टॉपर बन सकते हैं

3- टालने कीआदत का परित्याग Give up the hbit of procrastination

इस बिन्दु को ऐसे भी समझा जा सकता है कि आज का कार्य आज ही सम्पन्न हो, इसे अपनी आदत में शुमार कर लें। इसमें महत्त्वपूर्ण एवं कम महत्त्वपूर्ण कार्यों का उचित विभाजन किया जा सकता है। कई बार मौज-मस्ती के मूड में, किसी मित्र के अत्यधिक मनुहार या अन्य किसी अवांछित कारण से हम अपने कार्य को दूसरे दिन पर टाल देते हैं, ऐसी स्थिति से बचें।

4- समय का अधिकतम सदुपयोग OPTIMUM UTILIZATION OF TIME

यह एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु है। कई स्थितियों में तो छात्र स्वयं ही अपना समय, अनुपयोगी कार्यों में व्यतीत करते देखे जाते हैं; जैसे—प्रतिदिन घण्टे-दो घण्टे की नैट सर्किंग या फेसबुक पर सन्देश देना या मित्रों के साथ गप-शप। कई बार आपके मित्रों द्वारा आपका बहुत समय व्यर्थ व्यतीत कर दिया जाता है।

मित्र ने अपनी पढ़ाई कर ली, स्वयं का दिमाग तरोताजा करने के लिए या समय व्यतीत करने के लिए आपके पास आ जाता है। आप उसे मित्रतावश कुछ नहीं कह पाते हैं और आपका बहुत-सा कार्य अपूर्ण रह जाता है। ऐसे मित्रों से दूरी बनाना ही उचित एवं अनिवार्य है।

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5- सफलता में समय प्रबन्धन का महत्त्वपूर्ण योगदान-Important contribution of time management in success

यदि आप सफलतापूर्वक समय प्रबन्धन कर पाते हैं, तो आपकी सफलता लगभग सुनिश्चित है। आप प्रसन्नचित और तनावरहित रहेंगे। आपका स्वयं पर एवं स्वयं की क्षमता पर विश्वास दृढ़ होगा। आपका जीवन अनुशासित एवं सुचारू हो जाएगा। आप स्वयं अधिक ऊर्जावान महसूस करेंगे।

जब आपका लक्ष्य ऊँचा है, जब आप टॉपर्स में स्थान पाना चाहते हैं, तो उस लक्ष्य की प्राप्ति हेतु समय का पूरा उपयोग करना अति आवश्यक है। जीवन में जो भी व्यक्ति समय की कीमत को समझता है, वह एक-न-एक दिन अवश्य सफल होता है।

छात्र-जीवन में, जो छात्र अपने समय का सही उपयोग कर लेता है, वह अपने जीवन में बहुत ऊँचा मुकाम हासिल करता है।

अपनी जमीन, अपना नया आसमान पैदा कर,

माँ’गने से जिन्दगी कब मिलती है मेरे दोस्त,

खुद ही अपना नया इतिहास पैदा कर।

6- प्रारम्भ से ठोस एवं समुचित तैयारीSOLID AND PROPER PREPARATION FROM THE START

जो भी छात्र अपने जीवन में कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है, स्वयं को अन्य से श्रेष्ठ साबित करने की इच्छा रखता है, उसे बहुत संयमित एवं सुनियोजित होने की आवश्यकता है।

टॉपर्स में स्वयं का स्थान बनाने के लिए आवश्यक है कि आपकी अभीष्ट परीक्षा हेतु तैयारी पूरी हो। पूरी तैयारी का अर्थ है कि जो भी विषय है, उसकी परीक्षा के अनुरूप तैयारी। ऐसा न हो कि परीक्षा सर पर आ गई हो और अभी तक आपने गणित की तैयारी ही शुरू नहीं की है या गणित का कोर्स अभी बहुत बाकी है। पूरी तैयारी का अर्थ वस्तुत: यह है कि आपको स्वयं यह लगना चाहिए कि आपने अपनी योग्यता, क्षमता के अनुसार पूरा प्रयास कर लिया है और आप अपने परिश्रम से वास्तव में सन्तुष्ट हैं।

आप जितनी मेहनत करने में समर्थ थे, उतनी आपने की है। इसका अर्थ यह हुआ कि यदि आपको एक माह का समय और मिल जाता है, तो आप मात्र रिवीजन (Revision) ही करेंगे। छात्र जब स्वयं के परिश्रम से सन्तुष्ट होता है, तब ही उसकी तैयारी को पूर्ण कहा जा सकता है।

पूरी तैयारी हेतु छात्र को पहले से ही स्वयं को सुनियोजित करना पड़ता है। यदि आप किसी कक्षा की वार्षिक परीक्षा दे रहे हैं, तो आपको आने वाली परीक्षा हेतु, इस परीक्षा को देने के बाद से ही तैयार होने की आवश्यकता है। अगली परीक्षा की किताबें, गाइड आदि एकत्र करने की आवश्यकता है। परीक्षा हेतु आपके पास मात्र

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एक वर्ष का समय ही तो है। अत: ग्रीष्म अवकाश में आपको अगले वर्ष की परीक्षा हेतु तैयारी शुरू कर देनी चाहिए।

इसी प्रकार यदि आप किसी प्रतियोगी परीक्षा में बैठना चाह रहे हैं, तो उस परीक्षा के विषय; जैसे-अंग्रेजी (English), सामान्य ज्ञान (General Knowledge) इत्यादि की तैयारी काफी पहले से शुरू करनी होगी। सामान्य ज्ञान (General Knowledge) एक ऐसा विषय है, जिसके लिए आपको कई वर्ष पहले से ही तैयार होने की आवश्यकता है। आपको प्रतिदिन की राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय घटनाओं की जानकारी होनी चाहिए। विशेष ऐतिहासिक घटनाओं की भी आपको विस्तृत जानकारी होनी चाहिए।

इसी प्रकार, अंग्रेजी में बहुत अच्छा शब्दकोश (Vocabulary) तैयार करने हेतु प्रयास काफी पूर्व से ही प्रारम्भ करना होगा।

मान लीजिए कि आपको सामूहिक परिचर्चा (Group Discussion) में भाग लेना है, तो आपको बहुत सारे सम्भाव्य वर्तमान विषयों (Probable Current Topics) हेतु तैयारी पहले से ही करनी होगी।

जो छात्र CAT, MAT या UPSC की महत्त्वपूर्ण परीक्षाएँ देते हैं, वे कई वर्षों तक कठिन परिश्रम करते हैं। टॉपर्स में स्थान बनाने वाले छात्रों को न केवल अपनी तैयारी पूरी करने की आवश्यकता है, बल्कि अभीष्ट परीक्षा के अनुरूप उन्हें शुरू से ही लिखित तैयारी करने की आवश्यकता भी है।

‘Begin your preparation at an

early stage to avoid missing

 the first attempt. ‘

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7- अच्छी आदतों कोआत्मसात करनाINCULCATING GOOD HABITS

अच्छी आदतें, आपकी मानसिक एवं शारीरिक ऊर्जा की हानि को न केवल रोकती हैं, बल्कि इनमें अभिवृद्धि भी करती हैं। अच्छी आदतों से आपका आत्मविश्वास दृढ़ होता है, आपका आत्मसम्मान बढ़ता है एवं लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक इच्छाशक्ति में भी दृढ़ता आती है, वृद्धि होती है। “अच्छी आदतों को अपनाने एवं खराब आदतों के परित्याग’ के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति (Strong willpower) की आवश्यकता होती है।

आदतें कैसी भी हों, कहीं-न-कहीं आपको कमजोर अवश्य करती हैं, अनिवार्यतः आपके आत्मविश्वास का क्षय करती हैं।

करता हा

बहुत-से छात्र, छात्र-जीवन में, अन्य छात्रों की देखा-देखी, जाने-अनजाने ऐसी आदतों के शिकार हो जाते हैं, जो न केवल छात्र जीवन में उन्हें अपने लक्ष्य से भटकाती हैं, बल्कि उनके सारे जीवन को प्राय: नष्ट कर देती हैं। वर्तमान समय में स्कूल एवं कॉलेजों में ड्रग्स (Drugs) का सेवन एक सामान्य-सी बात हो गई है।

अश्लील फिल्में देखना, मोबाइल में अश्लील क्लिपिंग डाले रखना एवं मजे लेकर देखना छात्रों की एक सामान्य-सी दिनचर्या है। इसका अनुमान छात्रों में बढ़ रही सेक्स एवं हिंसा की प्रवृत्ति से बखूबी लगाया जा सकता है। छात्रों में बढ़ रही आपराधिक गतिविधियों के लिए, वर्तमान दूषित वातावरण की बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

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कई अच्छे चरित्र वाले छात्र भी छात्र-जीवन में धूम्रपान की आदत डाल लेते हैं। शुरू में एक या दो सिगरेट, पढ़ने के बाद रिलैक्स (Relax) होने के लिए पी जाते हैं। बाद में वह ऐसी आदत बन जाती

है कि बिना सिगरेट पिये उनकी पढ़ाई ही नहीं हो पाती है।

कई छात्रों को चाय/कॉफी की इतनी आदत पड़ जाती है कि वे परीक्षा के दिनों में 15-20 कप चाय/कॉफी तक पी लेते हैं, जिससे उनकी भूख मर जाती है। खाना खाने की इच्छा समाप्त हो जाती है, पेट में कब्ज हो जाती है एवं परीक्षा के दिनों में वे तनाव वृद्धि के कारण बीमार पड़ जाते हैं। कई छात्र दिन में सोने एवं सारी रात पढ़ने की आदत डाल लेते हैं। इस बहुत सामान्य-सी दिखाई देने वाली आदत के परिणाम बहुत घातक हो सकते हैं।

एक तो यह अप्राकृतिक है कि आप सोने के समय पढ़ें और पढ़ने के समय सोएँ।

 दूसरा, आप दिन में जितना अधिक समय पढ़ सकते हैं, रात में उतना कभी भी नहीं पढ़ सकते हैं।

तीसरा, रात में दिमाग में कुत्सित विचारों की प्रबलता रहती है एवं दिन में सात्विकता का वातावरण रहता है।

चतुर्थ, मुख्य बात यह है कि आपकी परीक्षाएँ दिन में होंगी। यदि आप दिन में सोने की आदत बनाए रखते हैं, तो या तो आपको परीक्षा के दिनों में इस आदत को छोड़ना होगा या परीक्षा में आप पूरी तरह तरोताजा नहीं रहेंगे। आप नींद पूरी न होने जैसी स्थिति में परीक्षा देंगे, जिससे आपके अंक उतने अच्छे नहीं आ सकते, जितने पूरी तरह से नींद लेने एवं तरोताजा के कारण आ सकते हैं।

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आप माने या न मानें, प्रात: उठकर पढ़ना, रात में पढ़ने की अपेक्षा निश्चित ही श्रेष्ठतर है। छात्र जीवन में आप जो भी बुरी आदत पकड़ लेते हैं, वह आपके भविष्य को बर्बाद करने का ही काम करती है।

टॉपर्स में स्थान बनाने का ख्वाब संजोने वाले छात्र के लिए यह आवश्यक है कि वह छात्र-जीवन में बुरी आदतों से दूर रहे, अच्छी आदतें अपनाए और जीवन को सरस एवं सरल तरीके से जीने का प्रयास करे।

8- एकाग्रचित होकर अध्ययन करना आवश्यकIT IS NECESSARY TO STUDY WITH CONCENTRATION

एकाग्रता हेतु क्या करें? बहुत-से छात्रों की समस्या होती है कि जब वे पढ़ाई करना शुरू करते हैं, तो उनका मन इधर-उधर भटकने लगता है। वे पढ़ाई पर अपना ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाते हैं। बिना एकाग्रता के पढ़ाई करना, समय व्यर्थ करना है।

“Studying without concentration is like trying to fill a bucket with water, when the bucket has a hole in its bottom.”

 “बिना एकाग्रता के अध्ययन करना, एक ऐसी बाल्टी में पानी भरने के समान है जिसके पेंदे में छेद हो।

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एकाग्रता बनाने हेतु, बहुत-सी मोटी-मोटी किताबें लिखी गई हैं, जिनमें कई वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक विधियों को बताया गया है। लेकिन, लेखक का यह विचार है कि अधिकांश विधियाँ व्यावहारिक (Practical) न होकर, सैद्धान्तिक (Theoretical) हैं।

छात्र-जीवन एक ऐसा अभूतपूर्व, एवं अनूठा समय है, जब छात्र को बस एक ही काम रहता है-वह है, पूर्ण लगन एवं मेहनत से पढ़ाई करना। उस पर सामान्यतया कोई आर्थिक, सामाजिक या अन्य दायित्वों का बोझ नहीं रहता है। यदि इस समय का उपयोग छात्र ने अपने लक्ष्य की पूर्ति हेतु सार्थक रूप से कर लिया, तो उसका सफल होना लगभग निश्चित रहता है।

यह समय छात्र के भविष्य निर्माण हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण है। यह समय कठिन तपश्चर्या एवं बहुत संयम रखने का समय होता है। छात्रों को सब कुछ भुलाकर मात्र अपने लक्ष्य की पूर्ति हेतु दृढ़ संकल्पित होना चाहिए।

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चिन्ताओं एवं समस्याओं का निराकरण जरुरीNEED TO RESOLVE CONCERNS AND PROBLEMS

इस बिन्दु का अर्थ यह है कि छात्र-जीवन में भी कई प्रकार की चिन्ताओं एवं समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है। चाहे-अनचाहे इस तरह की स्थिति बन जाती है कि पढ़ते समय बार-बार ध्यान उसी समस्या पर जाता है। हम बार-बार अध्ययन की ओर उन्मुख होते हैं, लेकिन दिमाग उस समस्या के बारे में ही सोचने लगता है। ऐसी स्थिति में, आप पहले उस समस्या के हर पहलू पर विचार कर लें। आप जो भी कदम उठाना चाहते हैं, उस कदम के अच्छे-बुरे परिणामों पर अच्छी तरह सोच लें। कोई एक कदम उठाने से क्या होगा, नहीं उठाने से क्या होगा?

दूसरा कदम उठाएँगे तो क्या होगा? इन सभी बातों पर विचार कर लें। सबसे अच्छा तरीका यह है कि कागज पेन लेकर अपने सभी विकल्प (Options) लिख लें और हर विकल्प के लाभ एवं हानि भी लिखकर, इसे अन्तिम रूप दे दें। ऐसा करने से आपको बार-बार उस समस्या पर विचार करने से मुक्ति मिल जाएगी। ऐसा करने में इस बात का भी ध्यान रखें कि जिस समस्या का कोई समाधान नहीं है, उसे सहन ही करना पड़ेगा, यह निर्विवाद सत्य है।

“Which can’t be cured, must be  endured. “

ऐसा करने के बाद आप पाएंगे कि अब आप अपनी पढ़ाई पर अपना ध्यान केन्द्रित करने में सक्षम हैं।

10- योग (ध्यान)YOGA (MEDITATION)

योग करने से, ध्यान (Meditation) लगाने से, चित्त को एकाग्र करने में सहायता मिलती है। यह एक वास्तविक तथ्य है कि जो छात्र प्रतिदिन योग और प्राणायाम करते हैं, वे पढ़ाई में अधिक एकाग्र हो पाते हैं। उनकी याद रखने की क्षमता भी अच्छी होती है और वे अपेक्षाकृत अधिक तरोताजा एवं तनावरहित भी रहते हैं।

वास्तव में, जो छात्र टॉपर्स में अपना स्थान बनाना चाहता है, उसे यह सलाह देना कि एकाग्रचित्त होकर अध्ययन करे, सूरज को दीपक दिखाने यानि उसे कम आँकने जैसा प्रतीत होता है, लेकिन ऐसा देखने में आता है कि वर्तमान वातावरण में अत्यधिक अश्लीलता भरी पड़ी है। टीवी, इन्टरनेट पर इतनी प्रकार की कुत्सित सामग्री उपलब्ध है कि छात्र का पढ़ाई में एकाग्रचित्त होना बहुत मुश्किल हो गया है।

हम तो इस बात को बार-बार दोहराते हैं कि छात्र-जीवन में छात्र को बहुत संयमित एवं संयमपूर्ण जीवन जीना चाहिए तथा मन लगाकर एवं एकाग्रचित्त होकर पढ़ाई करनी चाहिए। आप इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि यह एकाग्रता ही आपके भविष्य निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाएगी एवं आपको अपने लक्ष्य (टॉपर्स में स्थान पाना) को प्राप्त करने में सर्वाधिक सहायक होगी।

11- अच्छे कोचिंग सेन्टर या ट्यूशन की सक्रिय भूमिकाACTIVE ROLE OF GOOD COACHING CENTER OR TUTORING

आजकल कई प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु शहर/कस्बों में कई कोचिंग सेन्टर्स खुल गए हैं। जगह-जगह पर विभिन्न विषयों हेतु ट्यूशन के बोर्ड भी लगे हुए दिखाई पड़ जाएंगे। वर्तमान प्रतिस्पर्धा के समय में सम्भव हो तो छात्र को किसी अच्छे कोचिंग सेन्टर में प्रवेश ले लेना चाहिए। कुछ विशेष परीक्षाओं; जैसे-AIEEE, IIT, PMT, CAT, MAT, IAS, Bank PO इत्यादि के लिए, कई कोचिंग सेन्टर्स का रिकॉर्ड काफी अच्छा है। कुछ अध्यापक किसी अभीष्ट परीक्षा के किसी विषय विशेष का अच्छा ट्यूशन भी प्रदान करते हैं।

कोचिंग सेन्टर का एक महत्त्वपूर्ण लाभ यह भी है कि आपको अन्य प्रतियोगी छात्रों से परस्पर मिल-जुलकर (Interact) कार्य करने का, उनसे विचार-विमर्श करने का अवसर मिलता है। याद रखें, सभी छात्र आपके प्रतिस्पर्धी (Competitor) हैं। अत: उनके साथ परस्पर मिलने-जुलने, वार्तालाप करने पर, स्वयं ज्ञान का भी पता चलता है, इससे आप अपनी तैयारियों का आंकलन कर सकते हैं। आपको पता चलता है कि आपको अभी कितनी तैयारी और करनी शेष है।

कई कोचिंग सेन्टर्स, एक बैच में बहुत अधिक संख्या में छात्रों को प्रवेश दे देते हैं। कई छात्रों को लुभाने हेतु काफी सस्ती रेट पर कोचिंग देने का विज्ञापन देते हैं, लेकिन उनका स्तर अच्छा नहीं होता, ऐसे कोचिंग सेन्टर्स से बचें। अच्छा एवं उच्च स्तर का

कोचिंग इन्स्टीट्यूट ही ज्वॉइन करें।

कोचिंग सेन्टर्स या ट्यूशन से छात्र को परीक्षा विशेष की तैयारी हेतु आवश्यक सहयोग/मार्गदर्शन मिल जाता है, जो उसके लिए अन्य छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करने हेतु बहुत आवश्यक है। टॉपर्स में स्थान प्राप्त करना, सापेक्ष रूप से अच्छे प्रदर्शन पर निर्भर है। अत: अच्छे कोचिंग सेन्टर्स में प्राप्त मार्गदर्शन आपको लाभ पहुंचा सकता है।

इस सन्दर्भ में यह बात अच्छी तरह समझ लें कि मात्र कोचिंग सेन्टर्स पर निर्भरता से आप टॉपर्स में स्थान नहीं बना सकेंगे।

आपकी स्वयं की तैयारी के साथ कोंचिग सेन्टर्स का सहयोग एवं मार्गदर्शन आपको अपने लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो सकता है। अत: अभीष्ट परीक्षा हेतु स्वयं की तैयारियाँ करते रहें एवं कोचिंग सेन्टर्स या ट्यूशन से मार्गदर्शन लें।

“एक पानी का जहाज समुद्र के किनारे सर्वाधिक सुरक्षित रहता है, लेकिन हमें यह भी समझना चाहिए कि उसका निर्माण उस किनारे के लिए नहीं, बल्कि समुद्र के बीच में जाने के लिए हुआ है।

छात्र जीवन जैसा शानदार समय किसी भी मनुष्य के जीवन में फिर नहीं आता है।

यह ऐसा समय है जब आपको केवल एकाग्रचित्त होकर पढ़ना है। आप पर न सामाजिक जिम्मेदारियाँ हैं, न ही कोई अन्य दबाव, दायित्व या बोझ। इस समय का यदि आपने सदुपयोग किया, तो शेष जीवन में सफलता के नए-नए आयामों को स्पर्श कर लेंगे, परन्तु यदि इस मूल्यवान समय का दुरुपयोग किया तो आप जीवन भर हमेशा पछताते रहेंगे। छात्र-जीवन एक ऐसा समय है, जिसमें छात्र

भरपूर ऊर्जा एवं शक्ति से पूर्ण होता है, जीवन बहुत मधुर इच्छाओं से भरा रहता है। इस समय को यदि आप अपने लक्ष्यों की पूर्ति हेतु सही दिशा में उपयोग कर लेते हैं, तो आपके जीवन की दिशा ही बदल सकती है। समय के समुचित प्रबन्धन हेतु आप अपना टाइम-टेबल बना लें। आप जो भी तय करें, उसे पूरा करने का हर

सम्भव प्रयास करें। समय का विभाजन हर विषय हेतु करें।

एक बार टाइम-टेबल बनाने के कुछ दिनों बाद उस टाइम-टेबल पर पुन: विचार करें और देखें कि आप उस टाइम-टेबल में कौन-सी स्थिति का पालन नहीं कर पा रहे हैं तथा क्या किसी विषय को और अधिक समय दिया जा सकता है?

निष्कर्ष मात्र यह है कि आपको छात्र-जीवन को मौज-मस्ती के समय की तरह नहीं समझकर, उसे एक तपश्चर्या का, कठिन परिश्रम का समय समझना होगा। यह समय आपके भविष्य निर्माण हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण एवं मूल्यवान है। आप कैसे इस समय को अन्य अनर्थक कार्यों में व्यर्थ कर सकते हैं?

अधिकांश छात्र इस समय को मौज-मस्ती एवं अनर्गल कार्यों में व्यर्थ करते देखे जाते हैं, तो आप यह भी जान लें कि ऐसे छात्रों का कोई भविष्य भी नहीं है। टॉपर्स में स्थान बना लेने की इच्छाशक्ति रखने वाले एवं ऐसे शानदार सपनों को साकार करने वाले छात्र, इस समय को एक तपश्चर्या की तरह लेते हैं तथा पूर्ण निष्ठा एवं परिश्रम से अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर होते हैं और उस लक्ष्य को प्राप्त भी करते हैं।

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