Topper banne ke liye kya kare टॉपर बनने हेतु प्रमुख योग्यताएँ- Best Techniques to be a topper-

hello dosto aaj ki is post me hum janne wale hain ki kaise hum safal ho sakte hai kaise hum apni field mai top par pahuch sakte hai

1 अनुशासित एवं नियमित जीवन शैली Disciplined and regular Life Style

Topper banne ke liye kya kare अनुशासन एक ऐसी Quality है, जो आपको अन्य छात्रों से अलग करता है। टॉपर बनने हेतु जितनी आवश्यकता, आपकी मेहनत, बौद्धिक क्षमता एवं इच्छाशक्ति की है, उतनी ही आवश्यकता अनुशासित एवं नियमित जीवन शैली (life style) की होती है ।

Topper

टॉपर बनने हेतु दृढ़ इच्छाशक्ति को मूर्त रूप देने के लिए, अपनी योग्यता एवं क्षमताओं को सुगठित एवं संगठित कर निर्धारित लक्ष्य की ओर उन्मुख करने के लिए, अनुशासन रूपी तन्त्र की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। अनुशासन ही वह चाबी है, जिससे आप में लक्ष्य प्राप्ति का एक विश्वास जाग्रत होता है।

अनुशासन एक ऐसा गुणतन्त्र है, जो सभी प्रकार की अव्यवस्था, उपेक्षा, विलम्ब और समय के क्षय आदि को रोककर आपकी लक्ष्य पाने की इच्छाशक्ति को बल प्रदान करता है तथा आपकी कार्यक्षमता को योजनाबद्ध कर, आपको सफलता की ओर अग्रसर करता है।

अनुशासन किसी भी महत्त्वपूर्ण सफलता का प्रमुख कारक है। टॉपर बनने की सोच एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य प्राप्ति की उत्कृष्ट सोच है, जिसके लिए नियमित दिनचर्या एवं आत्म-अनुशासन की अहम् आवश्यकता होती है। अनुशासन एक प्रकृति प्रदत्त गुण नहीं है, बल्कि इसे जीवन में अपनाने हेतु नियमित प्रयास एवं अभ्यास की आवश्यकता होती है।

अनुशासन को कुछ लोग दण्डस्वरूप तथा अपनी इच्छाओं और स्वतन्त्रताओं के त्याग एवं कुर्बानी की तरह परिभाषित करते *हैं। अनुशासित होने का अर्थ वे लोग एक पीड़ादायक जीवन जीने की तरह मानते हैं, जबकि वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। अनुशासन जीवन को नियमित एवं सफल बनाता है, जीवन में आनन्द एवं मौजमस्ती के अवसरों में वृद्धि करता है। बड़े-बड़े लक्ष्यों की पूर्ति अनुशासन से ही सम्भव हो पाती है।

ओलम्पिक में विजेता एथलीटों के चेहरों की दमक एवं उनकी गौरवपूर्ण सफलता के पीछे अनुशासन ही तो है।

किसी भी क्षेत्र में टॉपर होने के लिए नियमित अभ्यास, प्रयास एवं अनुशासन अपरिहार्य है।

टॉपर बनना एक चुनौती है, जिसमें आपको बिना दूसरों के सम्बन्ध में पूरी जानकारी हुए स्वयं को श्रेष्ठतर बनाना एवं साबित करना है। इसके लिए सतत् तैयारियों के साथ, नियमित एवं अनुशासित जीवन शैली आपको लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक सम्बल प्रदान करती है ।

• स्वयं को सुनियोजित एवं व्यवस्थित करें। एक टाइम टेबल बनाकर, अपनी पढ़ाई की शुरूआत करें। शुरूआत में अपनी आदतों के अनुसार टाइम-टेबल बनाएँ, लेकिन जो भी टाइम तय करें, उसका ईमानदारी से पालन करें। –

Topper banne ke liye kya kare अनुशासित एवं नियमित जीवन शैली हेतु निम्न बिन्दुओं का पालन कीजिए

You can read all motivational post here

Motivation for students

• अपने अध्ययन कक्ष (Study-room) को स्वयं व्यवस्थित करें। अपने आस-पास सफाई रखें। अपनी डेस्क सुव्यवस्थित एवं साफ सुथरी रखें।

• जब आपके पास समय हो, तो मात्र मनोरंजन में ही समय व्यर्थ न करें। आपके मस्तिष्क में लक्ष्य प्राप्ति की प्राथमिकता अहम् रहेगी, तो आप इस समय को भी उत्पादक कार्यों में ही लगाएँगे। लक्ष्य प्राप्ति आपके मस्तिष्क में किसी बोझ की तरह नहीं, बल्कि यह एक ऐसे आनन्दमय लक्ष्य की तरह रहनी चाहिए, जिससे आपके मस्तिष्क को उस दिशा में सोचने में थकान महसूस हो ।

● समय को व्यर्थ न करें। स्वयं के द्वारा बनाए गए टाइम टेबल की समय-समय पर समीक्षा करें एवं देखें कि आप और कितना समय, अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में लगा सकते हैं। याद रखें, आपके बहुत सारे प्रतिस्पर्धी पूरी ईमानदारी से मेहनत कर रहे हैं। यदि आपको उनसे श्रेष्ठतर बनना है, तो आपको अपने प्रयासों में अधिक गति एवं सघनता लानी होगी।

●» आज के लिए निर्धारित कार्यों को आज ही पूर्ण करें। यह अनुशासन के मार्ग का प्रथम सोपान है ।

●• अनुशासन का सही अर्थ वस्तुतः अपनी आदतों को नियमबद्ध करना है। मनुष्य की आदतें ही उसके चरित्र का आधार होती हैं। आदतों की जड़ें उसकी उन्मुक्त इच्छाओं में समाहित होती हैं। अनुशासन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आदतों को नियमबद्ध और सुधारकर अपनी आन्तरिक शक्तियों में असीम वृद्धि कर सकता है। स्वेच्छा से नियमित जीवन शैली अपनाने और अनुशासित जीवन जीने का अभ्यास करने से, आत्मसंयम का गुण भी स्वतः ही जीवन में स्थान पा लेता है। आत्मसंयम, आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से व्यक्ति हर कठिनतम कार्य तथा बड़े-से-बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, जिसकी अनुशासनहीन व्यक्ति तो कल्पना भी नहीं कर सकता।

“Discipline is something that students should aim to achieve, if they want to achieve something precious and important.”

“Discipline is a rare quality which one has to inculcate, nature and cherish to achieve something great, grand, precious and prestigious.”

आप भी टॉपर बन सकते हैं

2 अभीष्ट परीक्षा के अनुरूप तैयारी

यह स्पष्ट है कि यदि आप किसी भी अभीष्ट परीक्षा में टॉप करना चाहते हैं, तो आपको उस परीक्षा के अनुरूप स्वयं को तैयार करना होगा। आपकी तैयारी, विशिष्ट रूप से उस परीक्षा के अनुरूप होनी चाहिए। आपको उस परीक्षा के सम्बन्ध में हर उस बात की जानकारी पूर्व में ही रहनी चाहिए, जिससे परीक्षा के समय आपका समय बचे एवं आपको हड़बड़ाहट न हो। आपको पता होना चाहिए कि इस परीक्षा में प्रश्न-पत्र किस प्रकार का होगा? यदि विश्लेषणात्मक (Descriptive) होगा, तो किस प्रकार के प्रश्न आएँगे? जैसे कि कई परीक्षाओं में कुछ प्रश्न बड़े आते हैं, जिनके लिए 10 अंक निर्धारित होते हैं, ऐसे प्रश्नों के उत्तर आपको 500 या अधिक शब्दों में देने होते हैं।

कुछ प्रश्न 5-5 अंकों के आते हैं, जिनके उत्तर आपको 100-200 शब्दों में देने होते हैं। कुछ प्रश्न 2-2 अंकों के होते हैं, जिनमें उत्तर आपको एक या दो पंक्तियों या 20-25 शब्दों में लिखने होते हैं। कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर मात्र (a), (b), (c), (d) में अंकित करने होते हैं।

इस तरह की जानकारी होने से आपकी तैयारी का स्वरूप भी प्रश्नों के अनुसार होगा। कई बार परीक्षा में ऋणात्मक अंकन (Negative Marking) का भी प्रावधान रहता है। ऐसी स्थिति में आपको उत्तर तभी लिखना चाहिए, जब आपको सुनिश्चित उत्तर का पता हो। कई बार ऋणात्मक अंकन में मात्र एक चौथाई अंक ही कटता है, तो ऐसी स्थिति में कुछ उत्तर, तार्किक अनुमान लगाकर भी दिए जा सकते हैं।

सामान्य रूप से परीक्षाओं को तीन भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं

I. विश्लेषणात्मक या वर्णनात्मक परीक्षा (Analytical or Descriptive Exam)

जैसा कि आप जानते हैं, इस तरह की परीक्षा में आपको काफी विस्तृत रूप से लिखना पड़ता है। कई बार इसके लिए समय कम पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में आपकी लिखने की गति जितनी अधिक होगी, आप उतना ही अधिक लिख सकेंगे। इसके साथ ही, आपका लेख भी ऐसा होना चाहिए कि आप तेजी से लिखें तो भी उसे परीक्षक आराम से पढ़ सके, समझ सके। लिखने की गति में वृद्धि करने हेतु आपको लिखने का निरन्तर अभ्यास करना चाहिए। यदि आपका लेखन, पढ़ने योग्य नहीं है तो धीरे-धीरे अभ्यास करें और सुन्दर लिखने का अभ्यास करें।

इस बात को याद रखें कि विश्लेषणात्मक या किसी भी परीक्षा में आपको मिलने वाले अंक, आपके द्वारा परीक्षा में लिखे गए उत्तरों के आधार पर ही मिलेंगे, न कि आपको क्या याद है या आपने कितनी मेहनत की है, इसके आधार पर | विश्लेषणात्मक परीक्षा में तैयारी हेतु आपको पूर्व में ही नोट्स बनाने की आवश्यकता है। कई बार परीक्षा का टाइम-टेबल इस तरह आता है कि आपको अपनी पुस्तक को दोहराने (Revise) का समय ही नहीं मिल पाता। अतः यदि आपने नोट्स अच्छे ढंग से बना रखें हैं, तो आपको परीक्षा के समय दोहराने में कम समय लगेगा।

नोट्स बनाते समय, अच्छे लेखकों की अच्छी पुस्तकों का चयन करें एवं नोट्स व्यवस्थित ढंग से सरल भाषा में बनाएँ । यदि किसी टॉपिक विशेष पर, कई बिन्दुओं (Points) में जवाब देना है, तो उन बिन्दुओं को याद करने का तरीका बना लें; जैसे- – मान लीजिए कि

– किसी टॉपिक से सम्बन्धित सात बिन्दु हैं, तो उन बिन्दुओं के प्रथम अक्षरों से कोई याद रखने योग्य एक्रोनिम (Acronym) शब्द बना लें। जैसे – इन्द्रधनुष के सात रंगों के नाम याद रखने हेतु VIBGYOR I एक्रोनिम (Acronym) शब्द बनाने से याद रखना सरल हो जाता है। यहाँ वर्ण V-Violet, I – Indigo, B – Blue, G – Green, Y-Yellow, O-Orange तथा R-Red को व्यक्त करते हैं। विश्लेषणात्मक परीक्षा में आपको कई बार मात्र 20 शब्दों में अपना उत्तर लिखना होता है, तो कई बार 50 शब्दों में और कई बार 100 या 200 शब्दों में।

Topper Kaise bane-अच्छे MARKS न ला पाने के 5 कारण ?

Topper Kaise Bane-टॉपर बनने के 5 आसान अचूक तरीके I-Study Tips



विश्लेषणात्मक परीक्षा के सन्दर्भ में ध्यान देने योग्य बिन्दु

• शब्दों की सीमा का ध्यान रखकर ही उत्तर दें। यदि 20 शब्दों में उत्तर देना है, तो 21-22 शब्द से अधिक लिखने पर नम्बर कट सकते हैं। इसी प्रकार 50 या 100 शब्दों की सीमा है, तो 55 एवं 105-107 शब्दों तक ही अपने उत्तर को सीमित करें।

■ आपके उत्तर में सभी मुख्य एवं महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश होना चाहिए। कोई भी महत्त्वपूर्ण बिन्दु छूटने पर आपको कम अंक मिलेंगे। इसके लिए आपको पूर्व में ही अपना उत्तर लिखने का 1. अभ्यास करना होगा। असम्बद्ध (Irrelevant) एवं महत्त्वहीन (Unimportant) बात नहीं या फिर अत्यन्त संक्षिप्त में लिखनी चाहिए, सन्तुलित उत्तर समय सीमा में लिखना अनिवार्य एवं उसमें सभी महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का समावेश हो जाना चाहिए।

II. वस्तुनिष्ठ परीक्षा (Objective Exam)

वस्तुनिष्ठ परीक्षा हेतु तैयारी विश्लेषणात्मक परीक्षा (Descriptive Examination) से बिल्कुल अलग प्रकार से की जाती है। एक-एक लाइन में से प्रश्न बनाए जा सकते हैं। अतः ऐसी परीक्षाओं हेतु पढ़ाई करते समय, बहुत ध्यान से पढ़ना होता है। इसके लिए पढ़ते समय आपको जो भी ऐसे प्रश्न बनते हों, उन्हें तुरन्त लिख लेना चाहिए। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों हेतु बाजार में बहुत सी पुस्तकें भी उपलब्ध होती

हैं, लेकिन याद रखें कि ऐसी पुस्तकें आपके द्वारा की जा रही मेहनत के सहायक के रूप में ही होती हैं। वस्तुतः आप द्वारा की जा रही मेहनत ही आपको टॉपर्स की स्थिति में पहुँचाने में अहम् भूमिका अदा करेगी | वस्तुनिष्ठ परीक्षा में भी आपको कम समय में बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर लिखने होते हैं। इसके लिए आपकी उत्तर देने की गति का विशेष महत्त्व है |

बहुत से प्रश्न, मुख्य रूप से गणितीय प्रश्नों के उत्तर कैसे निकाले जाएँ, इसके लिए गणित के शॉर्टकट तरीकों का आपको ज्ञान होना चाहिए। इसी प्रकार तार्किक प्रश्नों का उत्तर कैसे दिया जाए, इसका अभ्यास आपको अच्छी तरह कर लेना चाहिए।

वस्तुनिष्ठ परीक्षा के प्रश्न-पत्र में कई प्रश्न बीच-बीच में जान-बूझकर इस तरह से डाले जाते हैं, जिसमें अधिक समय लगता है। ऐसे प्रश्नों में यदि अभ्यर्थी फँस जाता है, तो उसका बहुत अधिक समय उसी प्रश्न में व्यर्थ हो जाता है। सामान्यतया ऐसे प्रश्नों को शुरू में छोड़ देना चाहिए तथा बाद में समय बचने पर उन प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए।

किसी परीक्षा में यदि सभी प्रश्नों के अंक समान हैं, तो उक्त तरीका सही रहता है, लेकिन यदि अंकों में असमानता है तो सर्वप्रथम अधिक अंक वाले प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए। यहाँ भी यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि यदि कोई प्रश्न आपको कठिन लग रहा है, तो उस पर अपना समय नष्ट न करके, आगे बढ़ जाएँ। वस्तुनिष्ठ परीक्षा में आपका मस्तिष्क पूर्णतया तरोताजा होना चाहिए। मानसिक एवं शारीरिक थकान से आपकी क्षमता में कमी आ जाती है, परीक्षा में खाली पेट भी नहीं जाना चाहिए।

कई बार अभ्यर्थी को शुरू के 2-4 प्रश्नों के उत्तर नहीं सूझते हैं या वे कठिन प्रतीत होते हैं, तो वह निराशा से घिर जाता है, उसके हाथ-पैर फूल जाते हैं। आप यह समझ लें कि जो स्थिति आपकी है, वही स्थिति अन्य सभी प्रत्याशियों की भी है। अतः आपको निराश होने या घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप बिना निराश या परेशान हुए आगे बढ़ते जाएँ। “

कई बार अभ्यर्थी जल्दी-जल्दी में या भूलवश प्रश्न का उत्तर गलत क्रमांक पर देने लग जाते हैं, जिससे सारे ही उत्तर क्रमांक गलत हो जाते हैं। इस गलती का कोई भी सुधार सम्भव नहीं है। अतः इस गलती से बचें। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को हल करने का जितना अभ्यास पूर्व में आप कर सकते हैं, अवश्य करें। इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि बाजार में मिलने वाली बहुत सारी गाइड्स में कई बार प्रश्नों के गलत हल दिए गए होते हैं, ऐसी गाइड्स को न खरीदें। पूर्व में किया गया अभ्यास, आपकी गति बढ़ाने में बहुत सहायक होता है।

III. मौखिक परीक्षा

कई परीक्षाओं में लिखित परीक्षा के बाद मौखिक परीक्षा; जैसे— सामूहिक परिचर्चा ( Group Discussion) या साक्षात्कार (Interview) द्वारा अन्तिम परिणाम निकाला जाता है। साक्षात्कार या सामूहिक परिचर्चा को हम मौखिक परीक्षाओं में शामिललकर सकते हैं।

इस तरह की मौखिक परीक्षाओं हेतु भी अभ्यर्थी को पूरी तैयारी करनी आवश्यक होती है, क्योंकि इस प्रकार की परीक्षाओं में साक्षात्कारकर्ता द्वारा अभ्यर्थी का पूर्ण रूप से अवलोकन / परीक्षण किया जाता है।

इसमें न केवल अभ्यर्थी द्वारा पहने जाने वाले कपड़े, जूते, टाई इत्यादि का महत्त्व है, बल्कि उसकी भाव-भंगिमा, उठने-बैठने के तरीके, उत्तर देने के तरीकों आदि का भी अत्यधिक महत्त्व है।

इस प्रकार की परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन हेतु आपको पूर्ण रूप से स्वयं को तैयार करना होगा, क्योंकि इस प्रकार की परीक्षाओं में साक्षात्कारकर्ता द्वारा कभी-कभी विषय से अलग भी प्रश्न पूछे जाते हैं। सामूहिक परिचर्चा एवं साक्षात्कार में सफलता हेतु लेखक की अलग से लिखी गई किताबों को पढ़ें । ये किताबें आपको मौखिक परीक्षाओं में सुनिश्चित सफलता दिलाने में, अच्छे अंक प्राप्त करने में निश्चित ही सहायक होंगी।

यह महत्त्वपूर्ण बिन्दु है कि आप जिस परीक्षा में भी बैठ रहे हैं आपकी तैयारी, आपकी पढ़ाई विशिष्ट रूप से उसी परीक्षा के अनुरूप होनी चाहिए। उस परीक्षा के सम्बन्ध में अधिकतम जानकारी पूर्व में ही एकत्र कर लेनी चाहिए। बाजार में उपलब्ध पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्र भी आपको अपनी तैयारियों की रूप-रेखा बनाने में सहायक हो सकते हैं। एक अच्छा कोचिंग सेन्टर भी आपको समुचित जानकारी तथा परीक्षा से सम्बन्धित आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।

3 योग्यता एवं क्षमता में अभिवृद्धि

अभी तक हमने चर्चा की, विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करने के तरीकों की, लेकिन टॉपर्स बनने के लिए न केवल इन परीक्षाओं हेतु अपनी योग्यता में वृद्धि करने की No आवश्यकता है, बल्कि अपनी क्षमता में भी अभिवृद्धि की आवश्यकता है। इसके लिए आपको अपनी पढ़ाई के घण्टों में भी धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी करनी होगी। मानसिक क्षमता में वृद्धि हेतु सुबह शीघ्र उठकर प्राणायाम आदि करने से भी लाभ मिलता है।

कहते हैं — “Sound Mind Lives in Sound Body.” अर्थात् स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। अतः स्वयं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखने की आवश्यकता है।

यह प्रतिस्पर्धा का युग है। आज हर व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है। हर व्यक्ति स्वयं को श्रेष्ठतम साबित करना चाहता है। आज इस बात की परम आवश्यकता है कि हम न केवल अपनी योग्यता एवं क्षमता का पूर्ण दोहन करें, बल्कि अपनी योग्यता एवं क्षमता में अधिकतम अभिवृद्धि भी करें। स्वयं को सुव्यवस्थित एवं अनुशासित रखें।

अच्छा एवं सुपाच्य, हल्का खाना खाएँ । वरिष्ठ नागरिकों, अनुभवी एवं सफल छात्रों के विचार सुनें / पढ़ें। दूसरों के अनुभव, हमें अपने मार्ग में आने वाली समस्याओं एवं कठिनाइयों से अवगत कराते हैं एवं उनका समाधान भी बताते हैं । 44

अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें। समय का पूर्ण सदुपयोग करें। अभीष्ट परीक्षा में आने वाले प्रश्नों के अनुरूप, पूर्व में ही बार-बार अभ्यास करें। अभ्यास से आपकी क्षमता एवं योग्यता में आवश्यक सुधार अवश्य होगा। स्वयं को किसी से कम नहीं आँकना चाहिए। अन्य किसी छात्र की तैयारियों से स्वयं में नैराश्य नहीं पनपने दें। परीक्षा से पूर्व ही, सुनियोजित तैयारी करने से आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होंगे, यह विश्वास रखें।

अपनी योग्यता एवं क्षमता का उपयोग, अपने ज्ञान में बढ़ोत्तरी हेतु करें। अश्लीलता एवं कुसंगति से बचें। अपने जीवन में सरल रहें, सच्चरित्र रहें, नैतिकता को अपनाएँ। इन सबसे आपको आन्तरिक दृढ़ता, आत्मविश्वास एवं सफलता अर्जित करने का विश्वास प्राप्त होगा।

टॉपर्स बनने की कामना रखने वाले अभ्यर्थी को सामान्य से बेहतर होना होगा। उसकी दिनचर्या और समय पालन की आदतें आदि सामान्य से हटकर एवं श्रेष्ठतर होनी चाहिए। 13

“The heights by great men reached and kept, Were not attained by sudden flight, But they while their companions slept, Were toiling upward in the night.”

एचडब्ल्यू लाँगफैलो (HW Longfellow) के उक्त कथन में बहुत सुन्दर शब्दों में महान् व्यक्तियों की महान्ता का रहस्य छिपा हुआ है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब उनके साथी सो रहे होते हैं, तो महान् व्यक्ति जगकर कठिन मेहनत कर रहे होते हैं।

कमियों का सही आकलन व उसमें सुधार

जो छात्र टॉपर्स में स्वयं का स्थान बनाने हेतु संकल्पित होते हैं, वे इस तथ्य से भलीभाँति परिचित होते हैं कि टॉपर्स का अपने अन्य.. साथियों से प्राप्तांकों में अन्तर बहुत कम अंकों का ही होता है । इन कुछ अंकों की कमी की पूर्ति हेतु आवश्यक है कि आप अपनी कमजोरियों / कमियों का पूरी ईमानदारी से आकलन करें।

वास्तविकता तो यह है कि अधिकांश छात्र पूर्ण रूप से मेहनत और रात-दिन एक करके पढ़ाई करते हैं, लेकिन अपनी कमजोरियों कमियों को दूर करने का या यह कहें कि उन्हें सही तरीके से जानने का प्रयास नहीं करते। ऐसी स्थिति में उन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ सकता है। अतः शानदार सफलता हेतु न केवल कठिन मेहनत की आवश्यकता है, बल्कि यह भी आवश्यक है कि आप अपनी कमजोरियों/ कमियों का सही आकलन करें एवं उन्हें पूर्ण ईमानदारी एवं कर्मठता के साथ दूर करने हेतु संकल्पित भी हो जाएँ।

छात्रों में पाई जाने वाली प्रमुख कमियाँ

प्रायः प्रत्येक छात्र में किसी-न-किसी प्रकार की कमियाँ अवश्य पाई जाती हैं, जो उसके पूर्णरूप से सफल होने में बाधक साबित होती हैं, कुछ प्रमुख कमियाँ इस प्रकार हैं

(i) विषय से सम्बन्धित कमियाँ

कई छात्र किसी विशिष्ट विषय में स्वयं को कमजोर पाते हैं। कुछ छात्र गणित विषय में पूर्ण दक्षता रखते हैं, लेकिन अंग्रेजी विषय में उनमें कमजोरी पाई जाती है। कई छात्रों को मनोविज्ञान से सम्बन्धित विषय में परेशानी होती है, तो कई छात्रों को तार्किक प्रश्नों में

आप भी टॉपर बन सकते हैं

परेशानी आती है। कई छात्रों को अंग्रेजी का शब्द ज्ञान (Vocabulary) तो अच्छा होता है, लेकिन उनकी पुस्तकांश (Passage) पढ़ने की गति कम होती है। कई छात्र व्याकरण के प्रश्नों में स्वयं को कमजोर महसूस करते हैं, तो कई छात्र सामान्य ज्ञान (General Knowledge) में स्वयं को कमजोर पाते हैं।

सर्वप्रथम छात्र को अपनी कमियों की जानकारी होनी चाहिए तत्पश्चात् उन कमियों को दूर करने की योग्यता या क्षमता। यह दोनों ही तथ्य महत्त्वपूर्ण हैं। यदि आप स्वयं की कमियों के प्रति उदासीन हैं या आप अपनी कमियों/कमजोरियों का सही आकलन नहीं कर पाएँगे और तो आप उन्हें दूर करने के प्रति सचेत नहीं हो सकते। अतः पहले स्वयं को अच्छी तरह से परख लें, अपनी कमियों को अच्छी तरह से समझ लें और फिर उन्हें पूरी ईमानदारी एवं कड़ी मेहनत से दूर करें ।

आप अपने मित्रों एवं अध्यापकों से अपनी कमजोरियों/कमियों के सम्बन्ध में विचार करें। उनके सुझावों पर गम्भीरता से मनन एवं यथासम्भव पालन करें। किसी अच्छे कोचिंग सेण्टर को ज्वाइन करें एवं अपनी कमियों / कमजोरियों के सन्दर्भ में वहाँ के निर्देशक या फैकल्टीज से राय लें। उनके दिए गए समाधान एवं सुझावों पर अमल करने से आपको लाभ मिल सकता है ।

आप इस तथ्य को अच्छी तरह से समझ लें कि आपको जब टॉपर्स में अपना स्थान बनाना है, तो आपको अपनी कमियों का सही आकलन एवं उन कमियों को दूर करना ही होगा।

श्रेष्ठतम स्तर प्राप्त करने पर ही आप टॉपर बन सकते हैं।

(ii) पढ़ने-लिखने की धीमी गति

कई छात्रों की लिखने की गति तुलनात्मक रूप से कम होती है। अतः जब ऐसे छात्रों को विश्लेषणात्मक पेपर (Descriptive Paper) देना होता है, तो वे पीछे रह जाते हैं। कुछ छात्र पूरे वर्ष कड़ी मेहनत करते हैं, नोट्स भी बनाते हैं, लेकिन उनकी लिखावट (Handwriting) इतनी खराब होती है कि वे स्वयं अपनी लिखावट नहीं पढ़ पाते हैं।

कई छात्रों की पढ़ने की गति भी कम होती है, वे प्रश्न-पत्र पढ़ने में ही काफी समय ले लेते हैं। पहले वे पूरा प्रश्न-पत्र बहुत ध्यान से पढ़ते हैं, फिर उसका उत्तर लिखना शुरू करते हैं।

हमारा तात्पर्य यह नहीं कि आप ध्यान से प्रश्न-पत्र को पढ़ें, बल्कि हम यह कहना चाहते हैं कि यदि आप प्रश्न पत्र को पढ़ने में अधिक समय लगा रहे हैं, तो इसका तुलनात्मक नुकसान आपको ही होगा। यह एक ऐसी कमजोरी है, जो आपको सापेक्ष रूप से अपने अन्य साथियों से पीछे धकेलती है, बावजूद इसके कि अनेक क्षेत्रों में आप उनसे अधिक योग्य हैं।

पढ़ने, लिखने की धीमी गति को सतत् अभ्यास से दूर किया जा सकता है। लिखावट को भी अभ्यास करके सुन्दर बनाया जा सकता है। इस प्रकार की कमजोरी दूर करने हेतु पूरी दृढ़ता से, लगातार किया गया कुछ दिनों का प्रयास सार्थक सिद्ध होता है।

अधिकांश छात्रों में प्रारम्भ से ही कुछ-न-कुछ कमी पाई जाती है, लेकिन जो छात्र अपनी कमियों / कमजोरियों को पहचानने एवं उन्हें करने में सफल हो जाते हैं, वे जीवन में कभी मात नहीं खाते हैं और सफलता की बुलन्दियों पर अपना अधिकार जमा लेते हैं। टॉपर्स में स्थान बनाने के लिए आपको इन छोटे, लेकिन महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का ध्यान रखना होगा। दूर

(iii) अन्य कमियाँ

कुछ छात्र परीक्षा के पूर्व सामान्य स्थिति में रहते हैं, खूब मेहनत करते हैं, सब कार्य समय पर, अनुशासनबद्ध रहकर सम्पन्न करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आने लगती है, वे असामान्य-सा व्यवहार करने लगते हैं। उनका स्वयं पर से विश्वास डिग जाता है। उन्हें अन्य छात्रों की तैयारियाँ स्वयं से अधिक बेहतर प्रतीत होती हैं। वे अजीब-सी हीन भावना से घिर जाते हैं, उनका आचरण एक हारे हुए सैनिक की तरह हो जाता है।

खान-पान के प्रति भी उत्साह नहीं रहता। वे अजीब तनाव एवं घबराहट के शिकार हो जाते हैं। ऊपर से सामान्य दिखाई देते हैं, लेकिन आन्तरिक रूप से भयभीत, हीन भावना से ग्रस्त, नैराश्य से सराबोर एवं निर्जीव-सा महसूस करते हैं। यह बहुत भयानक स्थिति है। ऐसी स्थिति से बचना चाहिए। आत्मविश्वास की कमी, असफलता की सबसे नजदीकी सीढ़ी है।

कुछ छात्र अन्य छात्रों की तैयारियों को देखकर हीनभावना के शिकार हो जाते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि अन्य छात्रों की तुलना में उनकी तैयारियाँ बहुत कम हैं एवं वे कभी उनका मुकाबला नहीं कर सकते हैं। दूसरों की तैयारियों से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। स्वयं के तरकशों व तीरों पर विश्वास करना होगा। कई छात्र, ऐसे छात्रों को हतोत्साहित करने के लिए, स्वयं की तैयारियों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं । >

उन्हें ऐसी-ऐसी सलाह दे देते हैं, जिससे वे सही मार्ग से भटक जाएँ। नकल करने के तरीके, पेपर लीक कराने जैसे शॉर्टकट बताकर, अच्छे मेहनती छात्र को दल-दल में धकेलने का कुत्सित प्रयास किया जाता है।

ध्यान रखें

आपको अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना है। यदि कोई ज्यादा परेशानी हो, तो किसी मनोचिकित्सक से मिलकर अपनी समस्या का समाधान करें। ईश्वर पर आस्था रखें, पूर्ण लगन एवं मेहनत से किया गया प्रयास निश्चित ही सफल होता है। I

अन्य छात्रों द्वारा दी गई सलाह पर बहुत सोच-विचार कर अमल करें। आप किसी से कमतर नहीं हैं। दूसरे की तैयारी से आपको हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है। आपके पास जितना समय है, आप उसका उपयोग श्रेष्ठतम तरीके से करें। इसके अतिरिक्त, आप यह भी समझ लें कि मात्र किताबी तैयारियों के आधार पर कोई टॉपर्स में स्थान हासिल नहीं कर सकता।

यह तथ्य इस किताब को पढ़ने के बाद आपकी समझ में अच्छी तरह आ जाएगा। उत्कृष्टता निरन्तर किए गए प्रयासों का परिणाम होती है। स्वयं पर एवं स्वयं की मेहनत पर विश्वास रखें एवं ईश्वर पर विश्वास रखें। बिना हतोत्साहित हुए, अपना प्रयास जारी रखें, सब कुछ ठीक होगा।

Ye post apko kaisi lagi cooment mai jaroor batana dosto. Kya 1% bhi is post ne apko support kiya ho to btana mat bhuliyega

Thank you

Topper banne ke liye kya kare टॉपर बनने हेतु प्रमुख योग्यताएँ

1 अनुशासित एवं नियमित जीवन शैली Disciplined and regular Life Style

Topper banne ke liye kya kare अनुशासन एक ऐसी Quality है, जो आपको अन्य छात्रों से अलग करता है। टॉपर बनने हेतु जितनी आवश्यकता, आपकी मेहनत, बौद्धिक क्षमता एवं इच्छाशक्ति की है, उतनी ही आवश्यकता अनुशासित एवं नियमित जीवन शैली (life style) की होती है ।

टॉपर बनने हेतु दृढ़ इच्छाशक्ति को मूर्त रूप देने के लिए, अपनी योग्यता एवं क्षमताओं को सुगठित एवं संगठित कर निर्धारित लक्ष्य की ओर उन्मुख करने के लिए, अनुशासन रूपी तन्त्र की सर्वाधिक आवश्यकता होती है। अनुशासन ही वह चाबी है, जिससे आप में लक्ष्य प्राप्ति का एक विश्वास जाग्रत होता है।

अनुशासन एक ऐसा गुणतन्त्र है, जो सभी प्रकार की अव्यवस्था, उपेक्षा, विलम्ब और समय के क्षय आदि को रोककर आपकी लक्ष्य पाने की इच्छाशक्ति को बल प्रदान करता है तथा आपकी कार्यक्षमता को योजनाबद्ध कर, आपको सफलता की ओर अग्रसर करता है।

अनुशासन किसी भी महत्त्वपूर्ण सफलता का प्रमुख कारक है। टॉपर बनने की सोच एक महत्त्वपूर्ण लक्ष्य प्राप्ति की उत्कृष्ट सोच है, जिसके लिए नियमित दिनचर्या एवं आत्म-अनुशासन की अहम् आवश्यकता होती है। अनुशासन एक प्रकृति प्रदत्त गुण नहीं है, बल्कि इसे जीवन में अपनाने हेतु नियमित प्रयास एवं अभ्यास की आवश्यकता होती है।

अनुशासन को कुछ लोग दण्डस्वरूप तथा अपनी इच्छाओं और स्वतन्त्रताओं के त्याग एवं कुर्बानी की तरह परिभाषित करते *हैं। अनुशासित होने का अर्थ वे लोग एक पीड़ादायक जीवन जीने की तरह मानते हैं, जबकि वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है। अनुशासन जीवन को नियमित एवं सफल बनाता है, जीवन में आनन्द एवं मौजमस्ती के अवसरों में वृद्धि करता है। बड़े-बड़े लक्ष्यों की पूर्ति अनुशासन से ही सम्भव हो पाती है।

ओलम्पिक में विजेता एथलीटों के चेहरों की दमक एवं उनकी गौरवपूर्ण सफलता के पीछे अनुशासन ही तो है।

किसी भी क्षेत्र में टॉपर होने के लिए नियमित अभ्यास, प्रयास एवं अनुशासन अपरिहार्य है।

टॉपर बनना एक चुनौती है, जिसमें आपको बिना दूसरों के सम्बन्ध में पूरी जानकारी हुए स्वयं को श्रेष्ठतर बनाना एवं साबित करना है। इसके लिए सतत् तैयारियों के साथ, नियमित एवं अनुशासित जीवन शैली आपको लक्ष्य प्राप्ति हेतु आवश्यक सम्बल प्रदान करती है ।

अनुशासित एवं नियमित जीवन शैली हेतु निम्न बिन्दुओं का पालन कीजिए

• स्वयं को सुनियोजित एवं व्यवस्थित करें। एक टाइम टेबल बनाकर, अपनी पढ़ाई की शुरूआत करें। शुरूआत में अपनी आदतों के अनुसार टाइम-टेबल बनाएँ, लेकिन जो भी टाइम तय करें, उसका ईमानदारी से पालन करें। –

• अपने अध्ययन कक्ष (Study-room) को स्वयं व्यवस्थित करें। अपने आस-पास सफाई रखें। अपनी डेस्क सुव्यवस्थित एवं साफ सुथरी रखें।

• जब आपके पास समय हो, तो मात्र मनोरंजन में ही समय व्यर्थ न करें। आपके मस्तिष्क में लक्ष्य प्राप्ति की प्राथमिकता अहम् रहेगी, तो आप इस समय को भी उत्पादक कार्यों में ही लगाएँगे। लक्ष्य प्राप्ति आपके मस्तिष्क में किसी बोझ की तरह नहीं, बल्कि यह एक ऐसे आनन्दमय लक्ष्य की तरह रहनी चाहिए, जिससे आपके मस्तिष्क को उस दिशा में सोचने में थकान महसूस हो ।

● समय को व्यर्थ न करें। स्वयं के द्वारा बनाए गए टाइम टेबल की समय-समय पर समीक्षा करें एवं देखें कि आप और कितना समय, अपने लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में लगा सकते हैं। याद रखें, आपके बहुत सारे प्रतिस्पर्धी पूरी ईमानदारी से मेहनत कर रहे हैं। यदि आपको उनसे श्रेष्ठतर बनना है, तो आपको अपने प्रयासों में अधिक गति एवं सघनता लानी होगी।

●» आज के लिए निर्धारित कार्यों को आज ही पूर्ण करें। यह अनुशासन के मार्ग का प्रथम सोपान है ।

●• अनुशासन का सही अर्थ वस्तुतः अपनी आदतों को नियमबद्ध करना है। मनुष्य की आदतें ही उसके चरित्र का आधार होती हैं। आदतों की जड़ें उसकी उन्मुक्त इच्छाओं में समाहित होती हैं। अनुशासन के माध्यम से व्यक्ति अपनी आदतों को नियमबद्ध और सुधारकर अपनी आन्तरिक शक्तियों में असीम वृद्धि कर सकता है। स्वेच्छा से नियमित जीवन शैली अपनाने और अनुशासित जीवन जीने का अभ्यास करने से, आत्मसंयम का गुण भी स्वतः ही जीवन में स्थान पा लेता है। आत्मसंयम, आत्मविश्वास और दृढ़ इच्छाशक्ति से व्यक्ति हर कठिनतम कार्य तथा बड़े-से-बड़े लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है, जिसकी अनुशासनहीन व्यक्ति तो कल्पना भी नहीं कर सकता।

“Discipline is something that students should aim to achieve, if they want to achieve something precious and important.”

“Discipline is a rare quality which one has to inculcate, nature and cherish to achieve something great, grand, precious and prestigious.”

आप भी टॉपर बन सकते हैं

2 अभीष्ट परीक्षा के अनुरूप तैयारी

यह स्पष्ट है कि यदि आप किसी भी अभीष्ट परीक्षा में टॉप करना चाहते हैं, तो आपको उस परीक्षा के अनुरूप स्वयं को तैयार करना होगा। आपकी तैयारी, विशिष्ट रूप से उस परीक्षा के अनुरूप होनी चाहिए। आपको उस परीक्षा के सम्बन्ध में हर उस बात की जानकारी पूर्व में ही रहनी चाहिए, जिससे परीक्षा के समय आपका समय बचे एवं आपको हड़बड़ाहट न हो। आपको पता होना चाहिए कि इस परीक्षा में प्रश्न-पत्र किस प्रकार का होगा? यदि विश्लेषणात्मक (Descriptive) होगा, तो किस प्रकार के प्रश्न आएँगे? जैसे कि कई परीक्षाओं में कुछ प्रश्न बड़े आते हैं, जिनके लिए 10 अंक निर्धारित होते हैं, ऐसे प्रश्नों के उत्तर आपको 500 या अधिक शब्दों में देने होते हैं।

कुछ प्रश्न 5-5 अंकों के आते हैं, जिनके उत्तर आपको 100-200 शब्दों में देने होते हैं। कुछ प्रश्न 2-2 अंकों के होते हैं, जिनमें उत्तर आपको एक या दो पंक्तियों या 20-25 शब्दों में लिखने होते हैं। कुछ बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर मात्र (a), (b), (c), (d) में अंकित करने होते हैं।

इस तरह की जानकारी होने से आपकी तैयारी का स्वरूप भी प्रश्नों के अनुसार होगा। कई बार परीक्षा में ऋणात्मक अंकन (Negative Marking) का भी प्रावधान रहता है। ऐसी स्थिति में आपको उत्तर तभी लिखना चाहिए, जब आपको सुनिश्चित उत्तर का पता हो। कई बार ऋणात्मक अंकन में मात्र एक चौथाई अंक ही कटता है, तो ऐसी स्थिति में कुछ उत्तर, तार्किक अनुमान लगाकर भी दिए जा सकते हैं।

सामान्य रूप से परीक्षाओं को तीन भागों में वर्गीकृत कर सकते हैं

I. विश्लेषणात्मक या वर्णनात्मक परीक्षा (Analytical or Descriptive Exam)

जैसा कि आप जानते हैं, इस तरह की परीक्षा में आपको काफी विस्तृत रूप से लिखना पड़ता है। कई बार इसके लिए समय कम पड़ जाता है। ऐसी स्थिति में आपकी लिखने की गति जितनी अधिक होगी, आप उतना ही अधिक लिख सकेंगे। इसके साथ ही, आपका लेख भी ऐसा होना चाहिए कि आप तेजी से लिखें तो भी उसे परीक्षक आराम से पढ़ सके, समझ सके। लिखने की गति में वृद्धि करने हेतु आपको लिखने का निरन्तर अभ्यास करना चाहिए। यदि आपका लेखन, पढ़ने योग्य नहीं है तो धीरे-धीरे अभ्यास करें और सुन्दर लिखने का अभ्यास करें।

इस बात को याद रखें कि विश्लेषणात्मक या किसी भी परीक्षा में आपको मिलने वाले अंक, आपके द्वारा परीक्षा में लिखे गए उत्तरों के आधार पर ही मिलेंगे, न कि आपको क्या याद है या आपने कितनी मेहनत की है, इसके आधार पर | विश्लेषणात्मक परीक्षा में तैयारी हेतु आपको पूर्व में ही नोट्स बनाने की आवश्यकता है। कई बार परीक्षा का टाइम-टेबल इस तरह आता है कि आपको अपनी पुस्तक को दोहराने (Revise) का समय ही नहीं मिल पाता। अतः यदि आपने नोट्स अच्छे ढंग से बना रखें हैं, तो आपको परीक्षा के समय दोहराने में कम समय लगेगा।

नोट्स बनाते समय, अच्छे लेखकों की अच्छी पुस्तकों का चयन करें एवं नोट्स व्यवस्थित ढंग से सरल भाषा में बनाएँ । यदि किसी टॉपिक विशेष पर, कई बिन्दुओं (Points) में जवाब देना है, तो उन बिन्दुओं को याद करने का तरीका बना लें; जैसे- – मान लीजिए कि

– किसी टॉपिक से सम्बन्धित सात बिन्दु हैं, तो उन बिन्दुओं के प्रथम अक्षरों से कोई याद रखने योग्य एक्रोनिम (Acronym) शब्द बना लें। जैसे – इन्द्रधनुष के सात रंगों के नाम याद रखने हेतु VIBGYOR I एक्रोनिम (Acronym) शब्द बनाने से याद रखना सरल हो जाता है। यहाँ वर्ण V-Violet, I – Indigo, B – Blue, G – Green, Y-Yellow, O-Orange तथा R-Red को व्यक्त करते हैं। विश्लेषणात्मक परीक्षा में आपको कई बार मात्र 20 शब्दों में अपना उत्तर लिखना होता है, तो कई बार 50 शब्दों में और कई बार 100 या 200 शब्दों में।

विश्लेषणात्मक परीक्षा के सन्दर्भ में ध्यान देने योग्य बिन्दु

• शब्दों की सीमा का ध्यान रखकर ही उत्तर दें। यदि 20 शब्दों में उत्तर देना है, तो 21-22 शब्द से अधिक लिखने पर नम्बर कट सकते हैं। इसी प्रकार 50 या 100 शब्दों की सीमा है, तो 55 एवं 105-107 शब्दों तक ही अपने उत्तर को सीमित करें।

■ आपके उत्तर में सभी मुख्य एवं महत्त्वपूर्ण बातों का समावेश होना चाहिए। कोई भी महत्त्वपूर्ण बिन्दु छूटने पर आपको कम अंक मिलेंगे। इसके लिए आपको पूर्व में ही अपना उत्तर लिखने का 1. अभ्यास करना होगा। असम्बद्ध (Irrelevant) एवं महत्त्वहीन (Unimportant) बात नहीं या फिर अत्यन्त संक्षिप्त में लिखनी चाहिए, सन्तुलित उत्तर समय सीमा में लिखना अनिवार्य एवं उसमें सभी महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का समावेश हो जाना चाहिए।

II. वस्तुनिष्ठ परीक्षा (Objective Exam)

वस्तुनिष्ठ परीक्षा हेतु तैयारी विश्लेषणात्मक परीक्षा (Descriptive Examination) से बिल्कुल अलग प्रकार से की जाती है। एक-एक लाइन में से प्रश्न बनाए जा सकते हैं। अतः ऐसी परीक्षाओं हेतु पढ़ाई करते समय, बहुत ध्यान से पढ़ना होता है। इसके लिए पढ़ते समय आपको जो भी ऐसे प्रश्न बनते हों, उन्हें तुरन्त लिख लेना चाहिए। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों हेतु बाजार में बहुत सी पुस्तकें भी उपलब्ध होती

हैं, लेकिन याद रखें कि ऐसी पुस्तकें आपके द्वारा की जा रही मेहनत के सहायक के रूप में ही होती हैं। वस्तुतः आप द्वारा की जा रही मेहनत ही आपको टॉपर्स की स्थिति में पहुँचाने में अहम् भूमिका अदा करेगी | वस्तुनिष्ठ परीक्षा में भी आपको कम समय में बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर लिखने होते हैं। इसके लिए आपकी उत्तर देने की गति का विशेष महत्त्व है |

बहुत से प्रश्न, मुख्य रूप से गणितीय प्रश्नों के उत्तर कैसे निकाले जाएँ, इसके लिए गणित के शॉर्टकट तरीकों का आपको ज्ञान होना चाहिए। इसी प्रकार तार्किक प्रश्नों का उत्तर कैसे दिया जाए, इसका अभ्यास आपको अच्छी तरह कर लेना चाहिए।

वस्तुनिष्ठ परीक्षा के प्रश्न-पत्र में कई प्रश्न बीच-बीच में जान-बूझकर इस तरह से डाले जाते हैं, जिसमें अधिक समय लगता है। ऐसे प्रश्नों में यदि अभ्यर्थी फँस जाता है, तो उसका बहुत अधिक समय उसी प्रश्न में व्यर्थ हो जाता है। सामान्यतया ऐसे प्रश्नों को शुरू में छोड़ देना चाहिए तथा बाद में समय बचने पर उन प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए।

किसी परीक्षा में यदि सभी प्रश्नों के अंक समान हैं, तो उक्त तरीका सही रहता है, लेकिन यदि अंकों में असमानता है तो सर्वप्रथम अधिक अंक वाले प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए। यहाँ भी यह अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि यदि कोई प्रश्न आपको कठिन लग रहा है, तो उस पर अपना समय नष्ट न करके, आगे बढ़ जाएँ। वस्तुनिष्ठ परीक्षा में आपका मस्तिष्क पूर्णतया तरोताजा होना चाहिए। मानसिक एवं शारीरिक थकान से आपकी क्षमता में कमी आ जाती है, परीक्षा में खाली पेट भी नहीं जाना चाहिए।

कई बार अभ्यर्थी को शुरू के 2-4 प्रश्नों के उत्तर नहीं सूझते हैं या वे कठिन प्रतीत होते हैं, तो वह निराशा से घिर जाता है, उसके हाथ-पैर फूल जाते हैं। आप यह समझ लें कि जो स्थिति आपकी है, वही स्थिति अन्य सभी प्रत्याशियों की भी है। अतः आपको निराश होने या घबराने की आवश्यकता नहीं है। आप बिना निराश या परेशान हुए आगे बढ़ते जाएँ। “

कई बार अभ्यर्थी जल्दी-जल्दी में या भूलवश प्रश्न का उत्तर गलत क्रमांक पर देने लग जाते हैं, जिससे सारे ही उत्तर क्रमांक गलत हो जाते हैं। इस गलती का कोई भी सुधार सम्भव नहीं है। अतः इस गलती से बचें। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों को हल करने का जितना अभ्यास पूर्व में आप कर सकते हैं, अवश्य करें। इस बात का अवश्य ध्यान रखें कि बाजार में मिलने वाली बहुत सारी गाइड्स में कई बार प्रश्नों के गलत हल दिए गए होते हैं, ऐसी गाइड्स को न खरीदें। पूर्व में किया गया अभ्यास, आपकी गति बढ़ाने में बहुत सहायक होता है।

III. मौखिक परीक्षा

कई परीक्षाओं में लिखित परीक्षा के बाद मौखिक परीक्षा; जैसे— सामूहिक परिचर्चा ( Group Discussion) या साक्षात्कार (Interview) द्वारा अन्तिम परिणाम निकाला जाता है। साक्षात्कार या सामूहिक परिचर्चा को हम मौखिक परीक्षाओं में शामिललकर सकते हैं।

इस तरह की मौखिक परीक्षाओं हेतु भी अभ्यर्थी को पूरी तैयारी करनी आवश्यक होती है, क्योंकि इस प्रकार की परीक्षाओं में साक्षात्कारकर्ता द्वारा अभ्यर्थी का पूर्ण रूप से अवलोकन / परीक्षण किया जाता है।

इसमें न केवल अभ्यर्थी द्वारा पहने जाने वाले कपड़े, जूते, टाई इत्यादि का महत्त्व है, बल्कि उसकी भाव-भंगिमा, उठने-बैठने के तरीके, उत्तर देने के तरीकों आदि का भी अत्यधिक महत्त्व है।

इस प्रकार की परीक्षाओं में बेहतर प्रदर्शन हेतु आपको पूर्ण रूप से स्वयं को तैयार करना होगा, क्योंकि इस प्रकार की परीक्षाओं में साक्षात्कारकर्ता द्वारा कभी-कभी विषय से अलग भी प्रश्न पूछे जाते हैं। सामूहिक परिचर्चा एवं साक्षात्कार में सफलता हेतु लेखक की अलग से लिखी गई किताबों को पढ़ें । ये किताबें आपको मौखिक परीक्षाओं में सुनिश्चित सफलता दिलाने में, अच्छे अंक प्राप्त करने में निश्चित ही सहायक होंगी।

यह महत्त्वपूर्ण बिन्दु है कि आप जिस परीक्षा में भी बैठ रहे हैं आपकी तैयारी, आपकी पढ़ाई विशिष्ट रूप से उसी परीक्षा के अनुरूप होनी चाहिए। उस परीक्षा के सम्बन्ध में अधिकतम जानकारी पूर्व में ही एकत्र कर लेनी चाहिए। बाजार में उपलब्ध पिछले वर्षों के प्रश्न-पत्र भी आपको अपनी तैयारियों की रूप-रेखा बनाने में सहायक हो सकते हैं। एक अच्छा कोचिंग सेन्टर भी आपको समुचित जानकारी तथा परीक्षा से सम्बन्धित आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान कर सकता है।

3 योग्यता एवं क्षमता में अभिवृद्धि

अभी तक हमने चर्चा की, विभिन्न प्रकार की परीक्षाओं में अच्छे अंक प्राप्त करने के तरीकों की, लेकिन टॉपर्स बनने के लिए न केवल इन परीक्षाओं हेतु अपनी योग्यता में वृद्धि करने की No आवश्यकता है, बल्कि अपनी क्षमता में भी अभिवृद्धि की आवश्यकता है। इसके लिए आपको अपनी पढ़ाई के घण्टों में भी धीरे-धीरे बढ़ोत्तरी करनी होगी। मानसिक क्षमता में वृद्धि हेतु सुबह शीघ्र उठकर प्राणायाम आदि करने से भी लाभ मिलता है।

कहते हैं — “Sound Mind Lives in Sound Body.” अर्थात् स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है। अतः स्वयं को शारीरिक एवं मानसिक रूप से भी स्वस्थ रखने की आवश्यकता है।

यह प्रतिस्पर्धा का युग है। आज हर व्यक्ति आगे बढ़ना चाहता है। हर व्यक्ति स्वयं को श्रेष्ठतम साबित करना चाहता है। आज इस बात की परम आवश्यकता है कि हम न केवल अपनी योग्यता एवं क्षमता का पूर्ण दोहन करें, बल्कि अपनी योग्यता एवं क्षमता में अधिकतम अभिवृद्धि भी करें। स्वयं को सुव्यवस्थित एवं अनुशासित रखें।

अच्छा एवं सुपाच्य, हल्का खाना खाएँ । वरिष्ठ नागरिकों, अनुभवी एवं सफल छात्रों के विचार सुनें / पढ़ें। दूसरों के अनुभव, हमें अपने मार्ग में आने वाली समस्याओं एवं कठिनाइयों से अवगत कराते हैं एवं उनका समाधान भी बताते हैं । 44

अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें। समय का पूर्ण सदुपयोग करें। अभीष्ट परीक्षा में आने वाले प्रश्नों के अनुरूप, पूर्व में ही बार-बार अभ्यास करें। अभ्यास से आपकी क्षमता एवं योग्यता में आवश्यक सुधार अवश्य होगा। स्वयं को किसी से कम नहीं आँकना चाहिए। अन्य किसी छात्र की तैयारियों से स्वयं में नैराश्य नहीं पनपने दें। परीक्षा से पूर्व ही, सुनियोजित तैयारी करने से आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होंगे, यह विश्वास रखें।

अपनी योग्यता एवं क्षमता का उपयोग, अपने ज्ञान में बढ़ोत्तरी हेतु करें। अश्लीलता एवं कुसंगति से बचें। अपने जीवन में सरल रहें, सच्चरित्र रहें, नैतिकता को अपनाएँ। इन सबसे आपको आन्तरिक दृढ़ता, आत्मविश्वास एवं सफलता अर्जित करने का विश्वास प्राप्त होगा।

टॉपर्स बनने की कामना रखने वाले अभ्यर्थी को सामान्य से बेहतर होना होगा। उसकी दिनचर्या और समय पालन की आदतें आदि सामान्य से हटकर एवं श्रेष्ठतर होनी चाहिए। 13

“The heights by great men reached and kept, Were not attained by sudden flight, But they while their companions slept, Were toiling upward in the night.”

एचडब्ल्यू लाँगफैलो (HW Longfellow) के उक्त कथन में बहुत सुन्दर शब्दों में महान् व्यक्तियों की महान्ता का रहस्य छिपा हुआ है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब उनके साथी सो रहे होते हैं, तो महान् व्यक्ति जगकर कठिन मेहनत कर रहे होते हैं।

कमियों का सही आकलन व उसमें सुधार

जो छात्र टॉपर्स में स्वयं का स्थान बनाने हेतु संकल्पित होते हैं, वे इस तथ्य से भलीभाँति परिचित होते हैं कि टॉपर्स का अपने अन्य.. साथियों से प्राप्तांकों में अन्तर बहुत कम अंकों का ही होता है । इन कुछ अंकों की कमी की पूर्ति हेतु आवश्यक है कि आप अपनी कमजोरियों / कमियों का पूरी ईमानदारी से आकलन करें।

वास्तविकता तो यह है कि अधिकांश छात्र पूर्ण रूप से मेहनत और रात-दिन एक करके पढ़ाई करते हैं, लेकिन अपनी कमजोरियों कमियों को दूर करने का या यह कहें कि उन्हें सही तरीके से जानने का प्रयास नहीं करते। ऐसी स्थिति में उन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ सकता है। अतः शानदार सफलता हेतु न केवल कठिन मेहनत की आवश्यकता है, बल्कि यह भी आवश्यक है कि आप अपनी कमजोरियों/ कमियों का सही आकलन करें एवं उन्हें पूर्ण ईमानदारी एवं कर्मठता के साथ दूर करने हेतु संकल्पित भी हो जाएँ।

छात्रों में पाई जाने वाली प्रमुख कमियाँ

प्रायः प्रत्येक छात्र में किसी-न-किसी प्रकार की कमियाँ अवश्य पाई जाती हैं, जो उसके पूर्णरूप से सफल होने में बाधक साबित होती हैं, कुछ प्रमुख कमियाँ इस प्रकार हैं

(i) विषय से सम्बन्धित कमियाँ

कई छात्र किसी विशिष्ट विषय में स्वयं को कमजोर पाते हैं। कुछ छात्र गणित विषय में पूर्ण दक्षता रखते हैं, लेकिन अंग्रेजी विषय में उनमें कमजोरी पाई जाती है। कई छात्रों को मनोविज्ञान से सम्बन्धित विषय में परेशानी होती है, तो कई छात्रों को तार्किक प्रश्नों में

अपने आत्मविश्वास को बनाए रखें। समय का पूर्ण सदुपयोग करें। अभीष्ट परीक्षा में आने वाले प्रश्नों के अनुरूप, पूर्व में ही बार-बार अभ्यास करें। अभ्यास से आपकी क्षमता एवं योग्यता में आवश्यक सुधार अवश्य होगा। स्वयं को किसी से कम नहीं आँकना चाहिए। अन्य किसी छात्र की तैयारियों से स्वयं में नैराश्य नहीं पनपने दें। परीक्षा से पूर्व ही, सुनियोजित तैयारी करने से आप अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में अवश्य सफल होंगे, यह विश्वास रखें। Sax

अपनी योग्यता एवं क्षमता का उपयोग, अपने ज्ञान में बढ़ोत्तरी हेतु करें। अश्लीलता एवं कुसंगति से बचें। अपने जीवन में सरल रहें, सच्चरित्र रहें, नैतिकता को अपनाएँ। इन सबसे आपको आन्तरिक दृढ़ता, आत्मविश्वास एवं सफलता अर्जित करने का विश्वास प्राप्त होगा।

टॉपर्स बनने की कामना रखने वाले अभ्यर्थी को सामान्य से बेहतर होना होगा। उसकी दिनचर्या और समय पालन की आदतें आदि सामान्य से हटकर एवं श्रेष्ठतर होनी चाहिए।

“The heights by great men reached and kept, Were not attained by sudden flight, But they while their companions slept, Were toiling upward in the night.”

एचडब्ल्यू लाँगफैलो (HW Longfellow) के उक्त कथन में बहुत सुन्दर शब्दों में महान् व्यक्तियों की महान्ता का रहस्य छिपा हुआ है। कहने का तात्पर्य यह है कि जब उनके साथी सो रहे होते हैं, तो महान् व्यक्ति जगकर कठिन मेहनत कर रहे होते हैं ।

4 कमियों का सही आकलन व उसमें सुधार

जो छात्र टॉपर्स में स्वयं का स्थान बनाने हेतु संकल्पित होते हैं, वे इस तथ्य से भलीभाँति परिचित होते हैं कि टॉपर्स का अपने अन्य साथियों से प्राप्तांकों में अन्तर बहुत कम अंकों का ही होता है । इन कुछ अंकों की कमी की पूर्ति हेतु आवश्यक है कि आप अपनी कमजोरियों/कमियों का पूरी ईमानदारी से आकलन करें।

वास्तविकता तो यह है कि अधिकांश छात्र पूर्ण रूप से मेहनत और रात-दिन एक करके पढ़ाई करते हैं, लेकिन अपनी कमजोरियों कमियों को दूर करने का या यह कहें कि उन्हें सही तरीके से जानने का प्रयास नहीं करते। ऐसी स्थिति में उन्हें बार-बार असफलता का सामना करना पड़ सकता है। अतः शानदार सफलता हेतु न केवल कठिन मेहनत की आवश्यकता है, बल्कि यह भी आवश्यक है कि आप अपनी कमजोरियों / कमियों का सही आकलन करें एवं उन्हें पूर्ण ईमानदारी एवं कर्मठता के साथ दूर करने हेतु संकल्पित भी हो जाएँ।

छात्रों में पाई जाने वाली प्रमुख कमियाँ

प्रायः प्रत्येक छात्र में किसी-न-किसी प्रकार की कमियाँ अवश्य पाई जाती हैं, जो उसके पूर्णरूप से सफल होने में बाधक साबित होती हैं, कुछ प्रमुख कमियाँ इस प्रकार हैं

(i) विषय से सम्बन्धित कमियाँ

कई छात्र किसी विशिष्ट विषय में स्वयं को कमजोर पाते हैं। कुछ छात्र गणित विषय में पूर्ण दक्षता रखते हैं, लेकिन अंग्रेजी विषय में उनमें कमजोरी पाई जाती है। कई छात्रों को मनोविज्ञान से सम्बन्धित विषय में परेशानी होती है, तो कई छात्रों को तार्किक प्रश्नों में

आप भी टॉपर बन सकते हैं

परेशानी आती है। कई छात्रों को अंग्रेजी का शब्द ज्ञान (Vocabulary) तो अच्छा होता है, लेकिन उनकी पुस्तकांश (Passage) पढ़ने की गति कम होती है। कई छात्र व्याकरण के प्रश्नों में स्वयं को कमजोर महसूस करते हैं, तो कई छात्र सामान्य ज्ञान (General Knowledge) में स्वयं को कमजोर पाते हैं।

सर्वप्रथम छात्र को अपनी कमियों की जानकारी होनी चाहिए तत्पश्चात् उन कमियों को दूर करने की योग्यता या क्षमता। यह दोनों ही तथ्य महत्त्वपूर्ण हैं। यदि आप स्वयं की कमियों के प्रति उदासीन हैं या आप अपनी कमियों/कमजोरियों का सही आकलन नहीं कर पाएँगे और तो आप उन्हें दूर करने के प्रति सचेत नहीं हो सकते। अतः पहले स्वयं को अच्छी तरह से परख लें, अपनी कमियों को अच्छी तरह से समझ लें और फिर उन्हें पूरी ईमानदारी एवं कड़ी मेहनत से दूर करें ।

आप अपने मित्रों एवं अध्यापकों से अपनी कमजोरियों/कमियों के सम्बन्ध में विचार करें। उनके सुझावों पर गम्भीरता से मनन एवं यथासम्भव पालन करें। किसी अच्छे कोचिंग सेण्टर को ज्वाइन करें एवं अपनी कमियों / कमजोरियों के सन्दर्भ में वहाँ के निर्देशक या फैकल्टीज से राय लें। उनके दिए गए समाधान एवं सुझावों पर अमल करने से आपको लाभ मिल सकता है ।

आप इस तथ्य को अच्छी तरह से समझ लें कि आपको जब टॉपर्स में अपना स्थान बनाना है, तो आपको अपनी कमियों का सही आकलन एवं उन कमियों को दूर करना ही होगा।

श्रेष्ठतम स्तर प्राप्त करने पर ही आप टॉपर बन सकते हैं।

(ii) पढ़ने-लिखने की धीमी गति

कई छात्रों की लिखने की गति तुलनात्मक रूप से कम होती है। अतः जब ऐसे छात्रों को विश्लेषणात्मक पेपर (Descriptive Paper) देना होता है, तो वे पीछे रह जाते हैं। कुछ छात्र पूरे वर्ष कड़ी मेहनत करते हैं, नोट्स भी बनाते हैं, लेकिन उनकी लिखावट (Handwriting) इतनी खराब होती है कि वे स्वयं अपनी लिखावट नहीं पढ़ पाते हैं।

कई छात्रों की पढ़ने की गति भी कम होती है, वे प्रश्न-पत्र पढ़ने में ही काफी समय ले लेते हैं। पहले वे पूरा प्रश्न-पत्र बहुत ध्यान से पढ़ते हैं, फिर उसका उत्तर लिखना शुरू करते हैं।

हमारा तात्पर्य यह नहीं कि आप ध्यान से प्रश्न-पत्र को पढ़ें, बल्कि हम यह कहना चाहते हैं कि यदि आप प्रश्न पत्र को पढ़ने में अधिक समय लगा रहे हैं, तो इसका तुलनात्मक नुकसान आपको ही होगा। यह एक ऐसी कमजोरी है, जो आपको सापेक्ष रूप से अपने अन्य साथियों से पीछे धकेलती है, बावजूद इसके कि अनेक क्षेत्रों में आप उनसे अधिक योग्य हैं।

पढ़ने, लिखने की धीमी गति को सतत् अभ्यास से दूर किया जा सकता है। लिखावट को भी अभ्यास करके सुन्दर बनाया जा सकता है। इस प्रकार की कमजोरी दूर करने हेतु पूरी दृढ़ता से, लगातार किया गया कुछ दिनों का प्रयास सार्थक सिद्ध होता है।

अधिकांश छात्रों में प्रारम्भ से ही कुछ-न-कुछ कमी पाई जाती है, लेकिन जो छात्र अपनी कमियों / कमजोरियों को पहचानने एवं उन्हें करने में सफल हो जाते हैं, वे जीवन में कभी मात नहीं खाते हैं और सफलता की बुलन्दियों पर अपना अधिकार जमा लेते हैं। टॉपर्स में स्थान बनाने के लिए आपको इन छोटे, लेकिन महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं का ध्यान रखना होगा। दूर

(iii) अन्य कमियाँ

कुछ छात्र परीक्षा के पूर्व सामान्य स्थिति में रहते हैं, खूब मेहनत करते हैं, सब कार्य समय पर, अनुशासनबद्ध रहकर सम्पन्न करते हैं, लेकिन जैसे-जैसे परीक्षा नजदीक आने लगती है, वे असामान्य-सा व्यवहार करने लगते हैं। उनका स्वयं पर से विश्वास डिग जाता है। उन्हें अन्य छात्रों की तैयारियाँ स्वयं से अधिक बेहतर प्रतीत होती हैं। वे अजीब-सी हीन भावना से घिर जाते हैं, उनका आचरण एक हारे हुए सैनिक की तरह हो जाता है।

खान-पान के प्रति भी उत्साह नहीं रहता। वे अजीब तनाव एवं घबराहट के शिकार हो जाते हैं। ऊपर से सामान्य दिखाई देते हैं, लेकिन आन्तरिक रूप से भयभीत, हीन भावना से ग्रस्त, नैराश्य से सराबोर एवं निर्जीव-सा महसूस करते हैं। यह बहुत भयानक स्थिति है। ऐसी स्थिति से बचना चाहिए। आत्मविश्वास की कमी, असफलता की सबसे नजदीकी सीढ़ी है।

कुछ छात्र अन्य छात्रों की तैयारियों को देखकर हीनभावना के शिकार हो जाते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि अन्य छात्रों की तुलना में उनकी तैयारियाँ बहुत कम हैं एवं वे कभी उनका मुकाबला नहीं कर सकते हैं। दूसरों की तैयारियों से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। स्वयं के तरकशों व तीरों पर विश्वास करना होगा। कई छात्र, ऐसे छात्रों को हतोत्साहित करने के लिए, स्वयं की तैयारियों को बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं । >

उन्हें ऐसी-ऐसी सलाह दे देते हैं, जिससे वे सही मार्ग से भटक जाएँ। नकल करने के तरीके, पेपर लीक कराने जैसे शॉर्टकट बताकर, अच्छे मेहनती छात्र को दल-दल में धकेलने का कुत्सित प्रयास किया जाता है।

ध्यान रखें

आपको अपने आत्मविश्वास को बनाए रखना है। यदि कोई ज्यादा परेशानी हो, तो किसी मनोचिकित्सक से मिलकर अपनी समस्या का समाधान करें। ईश्वर पर आस्था रखें, पूर्ण लगन एवं मेहनत से किया गया प्रयास निश्चित ही सफल होता है। I

अन्य छात्रों द्वारा दी गई सलाह पर बहुत सोच-विचार कर अमल करें। आप किसी से कमतर नहीं हैं। दूसरे की तैयारी से आपको हतोत्साहित होने की आवश्यकता नहीं है। आपके पास जितना समय है, आप उसका उपयोग श्रेष्ठतम तरीके से करें। इसके अतिरिक्त, आप यह भी समझ लें कि मात्र किताबी तैयारियों के आधार पर कोई टॉपर्स में स्थान हासिल नहीं कर सकता।

यह तथ्य इस किताब को पढ़ने के बाद आपकी समझ में अच्छी तरह आ जाएगा। उत्कृष्टता निरन्तर किए गए प्रयासों का परिणाम होती है। स्वयं पर एवं स्वयं की मेहनत पर विश्वास रखें एवं ईश्वर पर विश्वास रखें। बिना हतोत्साहित हुए, अपना प्रयास जारी रखें, सब कुछ ठीक होगा।

Ye post apko kaisi lagi cooment mai jaroor batana dosto. Kya 1% bhi is post ne apko support kiya ho to btana mat bhuliyega

Thank you

2 thoughts on “Topper banne ke liye kya kare टॉपर बनने हेतु प्रमुख योग्यताएँ- Best Techniques to be a topper-”

Leave a Comment

Exit mobile version